जुबिली न्यूज डेस्क
भारत में कोविड महामारी के दौरान हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में भारत में करीब 25 लाख अतिरिक्त मौतें दर्ज हुईं, जो सरकारी आंकड़ों से काफी ज्यादा हैं। यह रिपोर्ट खासतौर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कोविड मौतों के आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल उठाती है।
उत्तर प्रदेश: 7 गुना ज्यादा मौतों का दावा
CRS रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2021 में कोविड से 1,03,108 मौतें हुईं, जबकि सरकारी आंकड़ों में यह संख्या सिर्फ 14,563 बताई गई थी। इसका मतलब है कि करीब 87,555 अतिरिक्त मौतें हुईं, जो सरकारी आंकड़ों से 7 गुना ज्यादा हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद राज्य सरकार के कोविड प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं और असली मौतों की संख्या को लेकर बहस फिर तेज हो गई है।
उत्तराखंड: 1.6 गुना ज्यादा मौतें
उत्तराखंड में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोविड से 5,909 मौतें दर्ज हुईं थीं, जबकि CRS रिपोर्ट में 9,689 मौतों का दावा किया गया है। यानी यहां 1.6 गुना ज्यादा मौतें बताई जा रही हैं। राज्य सरकार को अब इन आंकड़ों पर सफाई देनी पड़ सकती है।
दिल्ली में भी बड़ा अंतर
दिल्ली में भी सरकारी और CRS आंकड़ों में बड़ा फर्क सामने आया है। सरकारी रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2021 में 14,571 लोगों की मौत कोविड से हुई, जबकि CRS रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या 45,256 है। यह अंतर भी बहुत बड़ा है और राजधानी में कोविड प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े कर रहा है।
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दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर के दौरान मौतों की संख्या सबसे ज्यादा रही। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड न मिलना और इलाज की कमी के कारण लोगों की मौतें हुईं। इस रिपोर्ट के बाद फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि भारत में कोविड की असली तस्वीर क्या थी।