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देश की इन महान विभूतियों को मिलेगा भारत रत्न, जाने क्यों है खास

न्यूज डेस्क

जनसंघ के नेता नाना जी देशमुख, प्रख्यात गायक संगीतकार भूपेन हजारिका और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि नाना जी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है। इस पुरस्कार को देने की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को की गयी थी।

कौन थे नानाजी देशमुख

नानाजी का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने जनसंघ की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उसेक बाद 1977 में जनसंघ की सरकार बनी थी। तो उन्हें मोरारजी-मंत्रीमण्डल में शामिल किया गया था। लेकिन उन्होंने मंत्रिपद लेने से मना कर दिया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग सरकार से बाहर रहकर कार्य करें। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संयास लेकर आदर्श की स्थापना की।

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। अटल के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये 1999 में पद्म विभूषण दिया गया था। डॉ॰ हेडगेवार जी के निधन के बाद नानाजी ने कई युवकों को आर.एस.एस. शाखाओं में शामिल होने के लिये प्रेरित किया था।

तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नानाजी देशमुख और उनके संगठन दीनदयाल शोध संस्थान की प्रशंसा की थी। उनका निधन 95 साल की उम्र में चित्रकूट स्थित भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय (जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी) में हुआ था।

कौन थे भूपेन हजारिका को

भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे वे गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के छेत्र में अच्छे जानकार थे। उनका जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था। दस संतानों में सबसे बड़े, हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ, जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा जनम घुट्टी के रूप में दी।

उन्होंने दस वर्ष की आयु में अपना प्रथम गीत लिख कर उसे गाया। वे ऐसे कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और खुद ही गाते भी थे। हजारिका को साल 1975 में राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इस साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में कोलकाता के बीरभूम जिले के छोटे गांव मराठी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक है। राष्ट्रपति बनने से पहले इन्होंने देश में कई अहम जिम्मेदारियां संभाली जिनमें वित्त मंत्रालय सहित कई अहम पद शामिल थे।

इसके अलावा प्रणब को कांग्रेस पार्टी का संकटमोचन माना जाता है। वह कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ काम कर चुके हैं। प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव प्राप्त किया था। सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठकों की अध्यक्षता की थी।

इससे पहले 2008 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी सम्मान मिल चुका है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, साल 1984 में दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी का नाम भी शामिल है। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी मुखर्जी ने कई मामलों पर खुलकर अपनी राय रखी।

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