रतन मणि लाल
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में भले ही अभी कुछ समय हो, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या को एक वृहद् अध्यात्मिक और धार्मिक आस्था की नगरी के रूप में पुनर्स्थापित करने की दिशा में गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
उद्देश्य है अयोध्या को हिन्दुओं के लिए एक ऐसे स्थल के रूप में स्थापित करना, जितना क्रिस्चियन और मुस्लिम समुदाय के लिए वैटिकन और मक्का महत्वपूर्ण हैं।
राज्य सरकार के उच्च सूत्रों के अनुसार, अयोध्या में इक्ष्वाकुपुरी नाम के ऐसे नगर की स्थापना करने की योजना बनायी गई है जहाँ भारत के इतिहास के स्वर्णिम युग की झलकियाँ तो दिखेंगी ही, बल्कि उसके साथ वैदिक, पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक वैभव को भी पुनर्स्थापित किया जायेगा।
इक्ष्वाकु नाम उस गौरवशाली साम्राज्य से लिया गया है, जिसमे दशरथ, श्री राम और हरिश्चंद्र जैसे प्रतापी राजा हुए हैं। इक्ष्वाकुपुरी नगर की स्थापना अयोध्या में सरयू नदी के किनारे लगभग 1900 एकड़ क्षेत्र में किया जाना है, और वर्तमान में इस जमीन में जंगल, नदियाँ, तालाब और कुछ गाँव है।
अधिकतर जमीन राज्य सरकार के वन, कृषि, उद्यान या अन्य विभागों के स्वामित्व में है और प्रस्तावित नगर में इस पूरे क्षेत्र के केवल 5 प्रतिशत पर ही स्थायी निर्माण किया जायेगा, बाकी जमीन को पर्यावरण हितैषी स्वरुप में रखा जायेगा।
इस प्रस्तावित नगर की परिकल्पना कंबोडिया के विख्यात अंगकोर वाट मंदिरों पर आधारित है। ये मंदिर दुनिया के सबसे वृहद् स्मारक माने जाते हैं और यहाँ भारतीय संस्कृति, श्री राम के जीवन और काल का ऐसा सजीव चित्रण देखने को मिलता है जिसे देखने दुनिया भर से पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। इस प्रस्तावित परियोजना को मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार किया गया है और इस पर पिछले लगभग एक साल से काम हो रहा था।
इक्ष्वाकुपुरी आने के लिए अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग से गुप्तार घाट तक चार-लेन की सड़क बनाई जाएगी और इक्ष्वाकुपुरी को गुप्तार घाट से ब्रह्म कुंड गुरूद्वारे तक सरयू नदी के किनारे विकसित किया जायेगा। नदी से लगे क्षेत्र में रिवरफ्रंट बनाया जायेगा, जहाँ होटल, आधुनिक सुविधाओं से युक्त धर्मशालाएं और पार्क आदि होंगे। नगर के बीच से एक चौड़ी सड़क गुजरेगी जिसके दोनों ओर नगर के मुख्य परिसर में वेदों, उपनिषदों, पुरानों और अन्य शास्त्रों के लिए समर्पित संकुल होंगे।
यहाँ प्राचीन परंपरा के अनुसार आश्रम, कुटिया, पार्क आदि बनाये जायेंगे। देश के अन्य राज्यों को भूमि आवंटित की जाएगी जहाँ वे न केवल अतिथि गृह बना सकेंगे बल्कि अपने राज्य के धार्मिक व तीर्थस्थलों के बारे में प्रदर्शनी भी लगा सकेंगे। वैदिक अनुसन्धान केंद्र, अध्ययन केंद्र, ध्यान केंद्र और मल्टी-मीडिया केंद्र आदि भी इसी जगह पर बनाये जायेंगे।
नगर के दूसरे सिरे के अंत में प्रस्तावित श्री राम मंदिर होगा। कुल मिला कर इस नगरी में भारत की सनातनता, संस्कृति, अध्यात्म व इक्ष्वाकु वंश के इतिहास से परिचय होगा। इस नगरी को पूरी तरह से पर्यावरण हितैषी बनाये जाने की योजना है।
इसमें अन्दर आने की अनुमति केवल बिजली से चलने वाले वाहनों को मिलेगी, और पेट्रोल, डीजल व सीएनजी वाहनों को भी प्रवेश नहीं दिया जायेगा. परिवहन के लिए बिजली से चलने वाली बस, ट्राम और छोटी गाड़ियाँ (कार्ट) आदि चलेंगी। इस पूरी परियोजना का नक्शा और ब्लू-प्रिंट तैयार है।
अधिकारियों ने बताया की इस परियोजना पर लगभग 2000 से 3000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, जिसमे राज्य सरकार इसकी योजना, मानक व डिजाईन तैयार करेगी। बाकी के काम पूरा करने के लिए संयुक्त क्षेत्र के विकल्पों का इस्तेमाल किया जायेगा जिसमे पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) और डोनेशन आदि शामिल हैं।
इस परियोजना के बारे में चर्चा करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि इक्ष्वाकुपुरी नगरी को एक अध्यात्मिक व पर्यटक आकर्षण के रूप में स्थापित किया जायेगा, जहाँ भारतीय संस्कृति की वास्तविक झलक, प्राचीन परिवेश में देखने को मिलेगी. उस युग को पुनर्स्थापित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा जिससे आगंतुकों को उसी प्रकार का वातावरण देखने और महसूस करने को मिले।
मुख्य मंत्री ने पद सँभालने के बाद एक दर्जन से भी अधिक बार अयोध्या की यात्रा की जिसके दौरान उन्होंने वहां की ऐतिहासिक विरासत को लोगों के सामने फिर से प्रदर्शित करने की योजना बनाई। अयोध्या में दशहरा, दीपावली और दीपोत्सव मनाये जाने के पीछे भी यही विचार था। इस परियोजना से अयोध्या देश व प्रदेश के प्रमुख पर्यटक आकर्षण केन्द्रों में शामिल होगा।
पिछले एक वर्ष से अयोध्या में पर्यटकों के आगमन में बढ़ोतरी देखी गई है, और पिछले महीने राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से यह संख्या और बढ़ी है। प्रदेश में आगरा, सारनाथ और वाराणसी शीर्ष के तीन पर्यटन आकर्षण हैं, और अब इनमे अयोध्या भी सम्मिलित होगा।
इक्ष्वाकुपुरी परियोजना उस योजना के अतिरिक्त है, जिसके अंतर्गत अयोध्या को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है. स्मार्ट सिटी योजना में एक नव अयोध्या शहर आकार ले रहा है, जिसमे हवाई अड्डा, आवासीय कॉलोनी, पार्क, होटल, हेरिटेज पार्क, आदि की स्थापना होगी।
अभी तक अयोध्या (और पूर्ववर्ती फैजाबाद) केवल श्रद्धालुओं के लिए एक गंतव्य था और गोरखपुर जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ समय रुकने के लिए एक पड़ाव मात्र था, लेकिन वर्तमान सरकार का ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में इक्ष्वाकुपुरी अपने आप में एक बड़ा आकर्षण बनेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)