जुबिली स्पेशल डेस्क
सोशल मीडिया के ज़रिए देश के खिलाफ फैलाए जा रहे नफरत और भड़काऊ कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार अब बेहद सख्त रुख अपनाने जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय इस दिशा में एक नई पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है, जिसके तहत ऐसे सभी सोशल मीडिया हैंडल और वेबसाइट्स पर कार्रवाई की जाएगी जो देश की एकता और अखंडता के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है सरकार की योजना?
सूत्रों के मुताबिक, इंटेलिजेंस एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में संसद की एक स्थायी समिति को जानकारी दी है कि एक विशेष निगरानी टीम बनाई जाएगी, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय भारत विरोधी तत्वों पर कड़ी नज़र रखेगी। इनकी पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस नीति का उद्देश्य सोशल मीडिया के माध्यम से देशविरोधी एजेंडे को फैलाने वाले समूहों और व्यक्तियों पर रोक लगाना है।
निगरानी के लिए गठित होगी स्पेशल यूनिट
गृह मंत्रालय के अधीन एक उच्च स्तरीय निगरानी इकाई का गठन किया जाएगा जो ऐसे हैंडल्स की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करने की सिफारिश करेगी। खालिस्तानी गतिविधियों में संलिप्त गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे तत्वों को इस निगरानी के दायरे में लाया जाएगा, जिन पर लंबे समय से सोशल मीडिया के ज़रिए नफरत फैलाने का आरोप है।
सोशल मीडिया कंपनियों से बातचीत तेज़
सरकार इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास कर रही है। अमेरिकी अधिकारियों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों से चर्चा की जा रही है ताकि भारत विरोधी कंटेंट को रोका जा सके और समय रहते संबंधित पोस्ट या वीडियो हटाए जा सकें।
इसके साथ ही, CBI, NIA, राज्य पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियां मिलकर एक संयुक्त रणनीति पर काम कर रही हैं।
हालिया घटनाओं से मिली चेतावनी
पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पर देश विरोधी कंटेंट की बाढ़ सी आ गई थी। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि डिजिटल स्पेस में निगरानी बेहद ज़रूरी है।
नई पॉलिसी के लागू होते ही ऐसे प्रयासों पर लगाम कसने में आसानी होगी और देश की साइबर सुरक्षा और सामाजिक एकता को मजबूत किया जा सकेगा।