Wednesday - 21 May 2025 - 5:14 PM

1.93 लाख शिक्षक भर्ती का एलान… और फिर ट्वीट डिलीट? उठे सवाल

जुबिली न्यूज डेस्क 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए बुधवार की सुबह एक बड़ी खबर लेकर आई। राज्य सरकार के आधिकारिक ट्विटर (अब X) हैंडल से एक पोस्ट में कहा गया कि राज्य में 1,93,000 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इस खबर ने कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्र इस घोषणा से बेहद उत्साहित दिखे।

हालांकि, यह उत्साह ज्यादा देर टिक नहीं सका। कुछ ही घंटों के भीतर वह ट्वीट डिलीट कर दिया गया, और उसके बाद कोई भी आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। इससे छात्रों में भ्रम और असमंजस की स्थिति बन गई है।

क्या कहा गया था ट्वीट में?

सुबह लगभग 7:45 बजे उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज से एक पोस्ट किया गया, जिसमें लिखा था:“योगी सरकार की बड़ी पहल! शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम। प्रदेश में 1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती शीघ्र की जाएगी। योग्य अभ्यर्थी तैयार रहें। संकल्प: सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा!”ट्वीट में एक इन्फोग्राफिक इमेज भी थी, जिसमें लिखा था कि यह भर्ती विभिन्न स्तरों — प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों — के लिए की जाएगी। साथ ही यह भी उल्लेख था कि यह प्रक्रिया अगले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी।

ट्वीट डिलीट होते ही मचा हड़कंप

लगभग 10:30 बजे के आसपास छात्रों और मीडिया संस्थानों ने यह पाया कि वह ट्वीट डिलीट कर दिया गया है। न तो उस ट्वीट को रीपोस्ट किया गया, और न ही किसी प्रवक्ता या मंत्री की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी दी गई।

इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर #UP_ShikshakBharti और #193000Teachers ट्रेंड करने लगे। परीक्षार्थी पूछने लगे:

  • क्या यह तकनीकी गलती थी?

  • क्या यह चुनावी स्टंट था?

  • या फिर क्या सरकार इस पर पीछे हट रही है?

छात्रों की प्रतिक्रिया: “उम्मीद की किरचें टूटीं”

लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर और कानपुर जैसे परीक्षा हबों में छात्रों की प्रतिक्रिया काफी तीखी रही। टीईटी, सुपरटीईटी और बीटीसी पास अभ्यर्थियों ने इसे “सरकार की असंवेदनशीलता” बताया।

प्रतियोगी छात्र रवि कुमार, जो पिछले 3 वर्षों से शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, ने कहा:“हमने यह खबर पढ़ते ही तैयारी और तेज कर दी थी। अब जब पता चला कि ट्वीट डिलीट हो गया है, तो हमें यह समझ नहीं आ रहा कि सरकार मज़ाक कर रही है या भ्रम फैला रही है।”

राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष हमलावर

ट्वीट डिलीट होने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा:“योगी सरकार को बताना चाहिए कि शिक्षक भर्ती के ट्वीट को क्यों डिलीट किया गया? क्या यह युवाओं को झूठी उम्मीद देने का राजनीतिक प्रयास था?”

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि:“हर साल शिक्षक भर्ती का वादा किया जाता है लेकिन प्रक्रिया शुरू होते-होते उसे रोक दिया जाता है। क्या यह युवाओं के साथ धोखा नहीं है?”

पिछली शिक्षक भर्तियों का ट्रैक रिकॉर्ड

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी संख्या में शिक्षक भर्ती की घोषणा की हो। पिछले कुछ वर्षों में:

  • 2019 में 69,000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन कई जिलों में अभी तक नियुक्ति लंबित है।

  • 97,000 से अधिक पद प्राथमिक स्तर पर रिक्त हैं, जिनके लिए बार-बार मांग उठती रही है।

  • सुपरटीईटी की परीक्षा बीते दो वर्षों से आयोजित नहीं की गई, जिससे प्रतियोगियों में नाराजगी है।

सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में

इतनी बड़ी घोषणा के बाद उसका अचानक डिलीट हो जाना और उस पर कोई स्पष्टीकरण न आना, सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग में भी इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश अब तक नहीं पहुंचे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:“संभव है कि यह ट्वीट जल्दबाज़ी में किया गया हो, और अभी शासन स्तर पर इस भर्ती की अंतिम स्वीकृति न मिली हो। लेकिन जब तक कोई स्पष्ट आदेश या प्रेस रिलीज नहीं आती, कुछ भी कहना कठिन है।”

विशेषज्ञों की राय: 

शिक्षा नीति विश्लेषक डॉ. अजय दीक्षित का मानना है कि:“सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट को आधिकारिक माना जाता है। अगर उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, तो सरकार की विश्वसनीयता खतरे में पड़ती है। खासकर बेरोजगारी से परेशान युवाओं के लिए यह असहनीय होता है।”

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क्या आगे होगी भर्ती?

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह ट्वीट भविष्य की किसी योजना का हिस्सा था या सिर्फ एक “अनटाइम्ड अनाउंसमेंट” थी, लेकिन यह तय है कि इस मुद्दे ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। युवाओं को जल्द से जल्द साफ जानकारी की उम्मीद है।

सरकार को चाहिए कि वह:

  • भर्ती से संबंधित एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करे

  • अगर योजना अधूरी है, तो उसका टाइमलाइन बताए

  • और अगर गलती से पोस्ट हुआ था, तो इसकी जिम्मेदारी ले

 उम्मीदों का खेल और राजनीतिक समीकरण

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में शिक्षक भर्ती न केवल रोज़गार का मुद्दा है, बल्कि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील भी है। ऐसे में अगर सरकार गंभीर है, तो उसे पारदर्शिता बरतनी होगी। अन्यथा इस प्रकार की घोषणाएँ केवल राजनीतिक दांव-पेच बनकर रह जाएँगी, जिससे जनता का भरोसा लगातार कमजोर होता जाएगा

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