Wednesday - 10 January 2024 - 4:51 AM

अमित शाह ने बताया इन कारणों की वजह से दिल्ली में मिली हार

न्यूज़ डेस्क

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजें आ चुके हैं। एक बार फिर आम आदमी पार्टी पर जमकर दिल्ली की जनता ने भरोसा जताया है। आप को 62 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को सिर्फ आठ सीट ही मिल सकी। दिल्ली में मिली करारी हार पर गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है और उन्होंने खुलकर बात की।

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में मिली हार के लिए पार्टी नेताओं के द्वारा की गयी बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया। बीजेपी नेताओं के ‘गोली मारो’ और ‘भारत-पाकिस्तान मैच’ जैसे बयानों पर शाह ने कहा कि ऐसी बातें नहीं की जानी चाहिए। शाह ने कहा कि पार्टी ने ऐसे बयानों की हमेशा निंदा की है, इस बार भी इन बयानों से दूरी बना ली थी।

शाहीन बाग का समर्थन उनका अधिकार

शाह ने आरोप लगाया कि देश को हिंदू-मुसलमान में बांटने का कम हमेशा से कांग्रेस पार्टी ने ही किया है। बीजेपी चुनाव सिर्फ जीत और हार के लिए नहीं लडती हैं, बीजेपी चुनाव विचारधारा के विस्तार के लिए लड़ती है। दिल्ली के नतीजों को सीएए और एनआरसी पर मैंडेट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि दिल्ली चुनावों में उनका अंदाजा गलत साबित हुआ है। लेकिन इन नतीजों को शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। जो लोग शाहीन बाग का समर्थन कर रहे हैं वो उनका अधिकार है.हम अगर उनके खिलाफ हैं तो ये हमारा अधिकार है। पार्टी को नेताओं के विवादास्पद बयानों से ज्यादा नुकसान हुआ है।

एनपीआर पर बात करने को तैयार

उन्होंने कहा कि कोई भी सीएए से जुड़े मुद्दे पर मुझसे बात करना चाहते हैं, वह मेरे कार्यालय में आकर समय ले सकता है, तीन दिन के अंदर समय दिया जाएगा। एनपीआर को लेकर कांग्रेस अफवाह फैला रही है। सरकार ने पहले भी कई बार स्पष्ट किया है कि एनपीआर के लिए किसी भी तरह के कागज़ नहीं दिखाने होंगे।

जम्मू कश्मीर जाने के लिए हर कोई स्वतंत्र

उन्होंने कहा जम्मू-कश्मीर में कोई भी जाने के लिए स्वतंत्र है, चाहे वो फिर कोई राजनेता हो या फिर कोई और। वहां जाने पर कोई रोक नहीं है। वहीं तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखे जाने पर शाह ने बताया कि इन लोगों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करना स्थानीय प्रशासन स्तर पर लिया गया फैसला था। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है अब वही इस पर फैसला करेगा।

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