Thursday - 11 January 2024 - 6:02 PM

कविताओं की गूंज के बीच ‘हारी नहीं हूँ नारी हूँ मैं‘ और ‘काव्य मकरन्द‘ का लोकार्पण

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ। एक संवेदनशील स्त्री की कथा के बहाने भीतर उमड़ते घुमड़ते जीवंत और ज्वलंत सवालों को उठाया है अमिता नीरव ने अपनी किताब माधवी- आभूषण से छिटका स्वर्ण कण में। जया जादवानी का उपन्यास देह कुठरिया लैंगिक भेद के आधार पर जीवन की त्रासदियों और विडम्बनाओं का आकलन करती दीखती है। औरत होने की सजा जैसी किताब लिखने वाले अरविंद जैन की स्त्री विमर्श और कानूनों पर ताजा किताब बेड़िया तोड़ती स्त्री नारी स्वातंत्र्य के नये संदर्भों का आख्यान सामने रखती है।

मोतीमहल वाटिका में 10 अक्टूबर तक चलने वाले 18वां राष्ट्रीय पुस्तक मेले के सौ से ज्यादा स्टाल यूं तो स्त्री-पुरुष के अबूझ सम्बंधों पर रची किताबों से भरे पड़े हैं, पर इन किताबों में उकेरे गये शब्दों में बहुत कुछ ऐसा नया है जो यहां आने वाले पुस्तक प्रेमियों को पिछले छह दिनों से बराबर आकृष्ट कर रहा है। वजह यह भी कि यहां न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट मिल रही है और वाणी, राजकमल, सेतु, सम्यक, निखिल, इकतारा ट्रस्ट जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के स्टाल यहां सजे हुए हैं। साथ ही ममता कालिया की महिला लेखक के सौ वर्ष जैसी पुस्तकों के संग महिला साहित्य और महिला विमर्श की सैकड़ों किताबें शारदीय नवरात्र की वेला पर पाठकों का आह्वान कर रही हैं।

मोती महल लॉन में चल रहे पुस्तक मेले के छठे दिन साहित्यप्रेमियों की भीड़ रही। पुस्तक मेले में महिला लेखिकाओं की नई पुस्तकों को लेकर काफी चर्चाएं हैं। राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर ममता कालिया की ‘जीते जी इलाहाबाद’, सुजाता की लिखी ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’, निवेदिता मेनन की ‘नारीवादी निगाह से’, रुथ वनिता की पुस्तक परियों के बीच और दिलीप मंडल व गीता यादव की अनसोशल को पाठक खूब पसंद कर रहे हैं। सेतु प्रकाशन समूह के स्टॉल पर माधवी उपाध्याय की अमिता नीरव, जया जादवानी की अनकहा अख्यान, मीनाक्षी सिंह की खेला, रश्मि भारद्वाज की मैंने अपनी मां को जन्म दिया पुस्तकों की चर्चा है।

अन्य किताबें कलाकुंज के स्टॉल पर दादी मां की होम रेमडीज, के अलावा अन्य स्टॉलों पर कुकरी, बागवानी, जूट के बैग इत्यादि, हस्तशिल्प के उत्पाद मौजूद हैं। सह-संयोजक आस्था ढल ने बताया कि देश के प्रमुख प्रतिष्ठित पुस्तक मेलों में शामिल यह पुस्तक मेला वृहद् साहित्य उत्सव का रूप ले चुका है। साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाएं अपने आयोजनों के लिए बराबर सम्पर्क कर रही हैं और हम चाहते हुए भी उन्हें शामिल नहीं कर पा रहे हैं।

मार्तंड साहित्यिक संस्था की ओर से डॉ. रंगनाथ मिश्र सत्य की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन हुआ। सरस्वती प्रसाद रावत व सुरेश कुमार राजवंशी के संयोजन, संचालन में हुए कवि सम्मेलन में द्वितीय अध्यक्ष उन्नाव के साहित्यकार डॉ.चंद्रभान चंद्र, हरदोई के रामेंद्र सिंह राज, डॉ.शिवबालक राम सरोज व गोदीलाल गांधी मौजूद थे। डॉ.अजय प्रसून की अनशन किये जो बैठे हैं, विजय कुमारी मौर्य विजय की संकरी गली, जियालाल भारती की स्वर्ग हमारे साथ पुस्तकों का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में लखनऊ के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के रचनाकार मौजूद रहे।

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डॉ.निर्मला सिंह निर्मल के कहानी संग्रह ‘हारी नहीं हूं नारी हूं मैं’ का लोकार्पण लेखिका परिषद, अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था व विद्योत्तमा परिषद की ओर से हुआ। वाणी वंदना डॉ.अरुणा सिंह ने की। मुख्य अतिथि साहित्यकार महेशचंद्र द्विवेदी, अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. विद्या विंदु सिंह , विशिष्ठ अतिथि प्रो.कैलाश देवी सिंह , कादम्बिनी क्लब की संयोजिका सुधा सिंह, मुख्य वक्ता प्रो.उषा सिन्हा डॉ. रश्मि ‘शील’ शुक्ला व संचालन लेखिका अलका प्रमोद ने किया।

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