Saturday - 13 January 2024 - 2:37 PM

आखिर हत्यारा साबित हुआ सिपाही

लखनऊ। राजधानी में पिछले साल 28 सितंबर को पुलिस के एक सिपाही ने ऐसे साजिस रच दी थी, जिसे भुला पाना आसान बिलकुल नहीं था। लम्बी जाँच के बाद आखिर उस सिपाही को हत्यारा मान ही लिया गया। हालांकि हत्यारे सिपाही को शुरुआत में पुलिस का काफी सपोर्ट मिला, लेकिन मामला तूल पकड़ते ही पुलिस ने अपने हाथ खींच लिए। हर दिन नये खुलासे से लोगो में खलबली मची और पब्लिक सड़को पर उतरी थी।

हल ही में बहुचर्चित विवेक तिवारी हत्याकांड की मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी गयी। जांच में विवेक द्वारा एक्सयूवी गाड़ी को सिपाही प्रशांत की बाइक पर चढ़ाने की बात झूठी साबित हुई। जब सिपाही प्रशांत ने फायरिंग की तब वह गिरी हुई मोटरसाइकिल के पीछे खड़ा था। इसके बाद यूपी सरकार एक्शन में आयी और शुरू हुआ जाँच का खेल। जिस पर अब जाकर विराम लगने की नौबत आयी है।

विवेक द्वारा एक्सयूवी कार को किनारे से निकालने का प्रयास किया जा रहा था। यानी कार की दिशा बाइक की दिशा के विपरीत नहीं थी। बाइक भी ऐसी अवस्था में नहीं मिली, जिसे देखकर यह कहा जाता कि इस पर कार चढ़ी होगी या चढ़ाने की कोशिश की गई होगी। इसलिए आरोपी सिपाही द्वारा अपने बचाव में आत्मरक्षा में गोली चलाने की दलील झूठी होने से बर्खास्त सिपाही को ही सीधे तौर पर हत्या का दोषी साबित होता है।

करीब साढ़े चार माह तक हुई इस मजिस्ट्रेटी जांच में धटना से जुड़े हर छोटे बड़े पहलू को बारीकी से परखने के बाद विवेक तिवारी की हत्या के लिए एसआईटी जांच की तरह ही सीधे तौर पर बर्खास्त सिपाही प्रशांत को आत्मरक्षा में गोली न चला कर हत्या करने का दोषी पाया गया। इस दौरान मौजूद  साथी सिपाही संदीप कुमार द्वारा भी साथी महिला मित्र से मारपीट की गयी और  उसकी तरफ से घटना को रोकने जैसी की कोशिश जांच में नसामने नहीं आयी। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने देर शाम जांच अधिकारी व एसीएम चतुर्थ सलिल पटेल द्वारा विवेक हत्याकांड की जांच रिपोर्ट सौंपे जाने की बात स्वीकार करते हुए बताया कि इसे कार्रवाई की संस्तुति के साथ ही एसएसपी को सौप दिया गया है।

सूत्रों का कहना है कि मजिस्ट्रेटी जांच में घटना के बाद पुलिस द्वारा शुरुआती दौर में की गयी कार्रवाई के दौरान बरती गयी लापरवाही भी सामने आयी है। 28 सितंबर 2018 को  एप्पल  कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी  की देर रात  गोमती नगर  इलाके में गोली मारकर हत्या की गयी थी। घटना से उपजे जनआक्रोश के बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इससे जुड़े सभी पहलूओं को सामने लाने के लिए हत्याकांड की मजिस्ट्रेटी जांच का निर्देश देते हुए जांच की जिम्मेदारी अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ सलिल पटेल को सौंपी थी।

करीब साढ़े चार माह तक चली मजिस्ट्रेटी जांच में घटना स्थल से मिले साक्ष्य, पुलिस द्वारा की गयी तफ्शीश घटना से जुड़े लोगों के दर्ज बयानों के आधार पर डीएम को सौंपी गयी रिपोर्ट में विवेक की हत्या का दोषी बर्खास्त आरक्षी प्रशांत चौधरी को पाया गया। जांच रिपोर्ट में घटना स्थल के आसपास से जुड़ी सीसीटीवी फुटे और पुलिस टीम द्वारा किए गए रीक्रिएशन के आधार पर पाया गया कि पूरी घटना को बर्खास्त सिपाही ने आत्मरक्षा में नहीं वरन सोच समझ कर ही गोली चलायी थी।

गोली चलाने से पहले नहीं दी विवेक को चेतावनी

जांच में विवेक की महिला मित्र द्वारा बताया गया कि एक्सयूवी गाड़ी निरंतर चल रही थी जबकि सीसीटीवी फुटेज में गाड़ी का कवरेज नहीं आया है ऐसे में महिला मित्र के द्वारा दर्ज कराए उस बयान की पुष्टि नहीं हो पायी कि घटना के समय गाड़ी रूकी हुई थी अथवा चल रही थी। महिला मित्र सना द्वारा जांच के दौरान दर्ज बयान में बताया गया था कि गोली चलाने के पहले कोई चेतावनी नहीं दी गई थी किंतु आरोपियों द्वारा बताया गया कि चेतावनी दी गई थी लेकिन घटना को इतने कम समय में अंजाम दिया गया कि गोली चलाने से पहले सिपाही प्रशांत द्वारा इसकी चेतावनी देने की बात पूरी तरह निराधार लगती है। जांच के दौरान प्रशांत के साथी सिपाही संदीप द्वारा  सना के बाएं हाथ पर डंडे से प्रहार करने की पुष्टि भी गहन मेडिकल रिपोर्ट के बाद हो पायी।

बिना प्रशिक्षण प्रशांत को मिली थी सर्विस पिस्टल

जांच के दौरान प्रशांत द्वारा बताया गया कि उसे पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण नहीं प्राप्त था ऐसे में यह आवश्यक है कि पुलिस विभाग द्वारा खतरनाक अग्नेयास्त्रों को उन पुलिसकर्मियों को दिए जाने की आवश्यकता है जिन्हें प्रशिक्षण प्राप्त हो। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी सिपाही  प्रशांत द्वारा गोली अनावश्यक रूप से चलाई गयी थी। गोली चलाने वाले सिपाही प्रशांत को घटना की जानकारी न तो किसी संदिग्ध द्वारा न ही पुलिस सर्विलांस या किसी और माध्यम से मिली थी।

घटना स्थल की जांच में ऐसे कोई  हालात नहीं मिले जिससे गोली चलाना जरूरी प्रतीत होता। गोली चलाने से पहले आरोपी सिपाही द्वारा वायरलेस के द्वारा थाना स्तर या कंट्रोल रूम में संपर्क किया जा सकता था किंतु ऐसा न कर सीधे गोली चलाना गलत है ।दोषियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन भली प्रकार नहीं किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि उक्त घटना को पुलिसकर्मियों द्वारा परिस्थिति जन्य आवेश में आने के कारण घटित हुई। दोनों पुलिसकर्मियों द्वारा अपने दायित्वों को सही ढंग से निर्वाह्न होता तो इसे घटित होने से बचाया जा सकता था।

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