न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में ‘परिवारों’ की बहार है। उद्धव ठाकरे के इस कैबिनेट में महाराष्ट्र के हर उस परिवार का वर्चस्व है जो राज्य में शक्तिशाली रहा है। महाराष्ट्र सरकार में मुख्यमंत्री समेत 43 मंत्री हो सकते हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इस 43 में से 21 मंत्री ऐसे हैं जो किसी न किसी नेता के बेटे-बेटी-भतीजा या फिर करीबी रिश्तेदार हैं। सरसरी तौर पर निगाह दौड़ाने पर इस कैबिनेट में 13 बेटे और 3 भतीजे नजर आते हैं, जो महाराष्ट्र के राजनीतिक परिवारों से जुड़े हैं।
दूसरी ओर उद्धव कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के ‘महा विकास अघाड़ी’ गठबंधन दल के नेताओं की नाराजगी एक-एक करके सामने आने लगी है। कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके ने सोमवार रात ऐलान किया कि वह महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे, क्योंकि वह अब राजनीति के योग्य नहीं हैं।
गौरतलब है कि सोलंके चार बार से मजलगांव सीट से विधायक हैं। उनके अलावा एनसीपी नेता मकरंद पाटील और राहुल चव्हाण भी ताजा कैबिनेट विस्तार का हिस्सा नहीं बनने के कारण नाराज हैं। महाराष्ट्र विकास आघाड़ी में शामिल छोटे दलों के शपथग्रहण समारोह में निमंत्रण नहीं देने से राजू शेट्टी जैसे नेताओं ने खुलेआम नाराजगी व्यक्त की। इतना ही नहीं, मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के भी नाराज होने की खबर है।
नाराज लोगों में सबसे चौंकाने वाला नाम महाराष्ट्र में शिवसेना की गठबंधन सरकार बनवाने में अहम रोल निभाने वाले संजय राउत का है। सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के 12 शिवसेना मंत्रियों के मंत्रिमंडल में अपने भाई सुनील राउत को जगह न मिलने से संजय राउत नाराज हैं।
खबरों की माने तो विक्रोली से विधायक सुनील राउत को शपथ ग्रहण से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने बोला गया था कि वे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। लेकिन शपथ ग्रहण के ठीक पहले लिस्ट से उनका नाम हटा दिया गया। नाराज सुनील राउत का कहना है कि अब वह अपनी सीट से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं।
यही नहीं, जब शिवसेना के राज्यसभा सांसद और महा विकास अघाड़ी सरकार को संभव बनाने में लकीर खींचने वाले संजय राउत भी जब शपथग्रहण में शामिल नहीं हुए तो नाराजगी के कयास तेज होने लगे। हालांकि, संजय मीडिया के सवाल पर कहा कि ‘लोगों को समझना चाहिए कि हमारे पास बहुत अधिक विकल्प नहीं हैं, क्योंकि इस सरकार में तीन दल शामिल हैं और तीनों में ही कुशल राजनीतिज्ञ हैं।’
संजय राउत के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह सरकारी इवेंट में शामिल नहीं होते हैं और उनकी नामौजूदगी को सुनील के मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नहीं जोड़ना चाहिए। हालांकि संजय राउत 28 नवंबर को उद्धव और बाकी छह विधायकों के शपथ के समय शामिल थे। एक तरफ सूत्रों का कहना है कि सीएम उद्धव ने सोमवार शाम तक सारे मतभेदों को खत्म कर दिया था लेकिन दूसरी ओर अन्य सूत्रों का कहना है कि आदित्य के पूरी प्रक्रिया में शामिल होने से सेना में मतभेद शुरू हुए।
इसके अलावा मुंबई से शिवसेना के विधायक सुनील प्रभु और रविंद्र वैकर भी शपथग्रहण में शामिल नहीं हुए, बताया जा रहा है कि ये दोनों भी नाराज चल रहे हैं। विदर्भ क्षेत्र के कई शिवसेना कार्यकर्ता भी मंत्रिमंडल में अपने क्षेत्र को नजरअंदाज किए जाने से नाराज हैं। सोमवार को दिन में इसी क्षेत्र से एक शिवसेना विधायक को पता चला कि वह मंत्री के रूप में शपथ नहीं ले रहे हैं तो वह तुरंत ठाकरे आवास पहुंचे और मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा।