जुबिली न्यूज डेस्क
भारत के प्रमुख रणनीतिक सहयोगी रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देकर दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। अफगान विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (3 जुलाई) को पुष्टि की कि रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इस फैसले को पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका और भारत के लिए एक संभावित कूटनीतिक अवसर माना जा रहा है।
तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के बीच काबुल में एक अहम बैठक हुई। बैठक के बाद मुत्ताकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि रूस ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता दे दी है। मुत्ताकी ने इसे एक “साहसी निर्णय” बताते हुए कहा कि रूस का यह कदम अन्य देशों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।
तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जिया अहमद तकाल ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में पुष्टि की कि रूस पहला देश है, जिसने इस्लामिक अमीरात को आधिकारिक मान्यता दी है। इस बीच रूस के अफगान मामलों के विशेष प्रतिनिधि जमीर काबुलोव ने रूसी समाचार एजेंसी ‘रिया नोवोस्ती’ को बताया कि मास्को ने तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने का निर्णय लिया है।
पाकिस्तान को झटका, भारत के लिए बढ़ सकती हैं संभावनाएं
रूस का यह फैसला पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक रूप से झटका माना जा रहा है। तालिबान का लंबे समय से समर्थन करने वाले पाकिस्तान ने अब तक अफगान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। इससे पाकिस्तान की क्षेत्रीय प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं, तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में पहले से ही तल्खी बनी हुई है, खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर, जिसे पाकिस्तान अपने देश में आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार मानता है।
दूसरी ओर, भारत के लिए यह स्थिति रणनीतिक अवसर बन सकती है। तालिबान के साथ भारत के संबंध 2021 के बाद से धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। हाल ही में विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने तालिबान नेताओं से मुलाकात की थी। रूस की मान्यता के बाद तालिबान को अंतरराष्ट्रीय वैधता मिलेगी, जिससे भारत को अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता है, विशेषकर पुनर्निर्माण और आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में।
अमेरिका के प्रभाव को चुनौती
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रूस का यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव को सीधे तौर पर चुनौती देता है। अफगानिस्तान को मान्यता देने में अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र जैसी ताकतें अब तक पीछे रही हैं। ऐसे में रूस का आगे आना वैश्विक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
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रूस का यह निर्णय दक्षिण एशिया की राजनीति के लिए एक अहम मोड़ हो सकता है। यह जहां पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है, वहीं भारत के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है। आने वाले दिनों में अन्य देशों की प्रतिक्रिया पर भी नजर बनी रहेगी।