जुबिली न्यूज डेस्क
करीब ढाई साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध अब संभवतः शांति की ओर पहला ठोस कदम बढ़ा रहा है। दो दौर की बातचीत के सफल रहने के बाद क्रेमलिन को उम्मीद है कि तीसरे दौर की वार्ता की तारीख जल्द ही तय हो सकती है। हालांकि यूक्रेन की ओर से रखी गई आपत्तियों और शर्तों के चलते वार्ता की गति धीमी दिखाई दे रही है।
दो दौर की बातचीत सफल, तीसरे की तैयारी
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बुधवार को कहा,“हमें उम्मीद है कि तीसरी वार्ता पर जल्द ही सहमति बन जाएगी। लेकिन यह प्रक्रिया पारस्परिक सहमति पर आधारित है।”
अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं:
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पहली बैठक: 16 मई को तुर्किए के इस्तांबुल में हुई थी। इसमें कैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी थी।
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दूसरी बैठक: 2 जून को तुर्किए में ही हुई, जहां 6,000 यूक्रेनी सैनिकों के शवों की वापसी और 25 साल से कम उम्र के बीमार कैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी थी।
तीसरी वार्ता पर टकराव की स्थिति
तीसरी वार्ता के लिए यूक्रेनी रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव ने जून के अंतिम सप्ताह में बैठक की पेशकश की थी, लेकिन वह असफल रही। इसकी एक बड़ी वजह रूस की ओर से रखी गई शर्तें मानी जा रही हैं।
रूसी मीडिया के मुताबिक, क्रेमलिन ने संघर्ष विराम के लिए दो प्रस्ताव रखे:
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यूक्रेनी सेना को डोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया से पीछे हटना होगा — ये वो क्षेत्र हैं जिन्हें रूस अपना हिस्सा मानता है।
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100 दिनों के भीतर यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव कराए जाएं।
जेलेंस्की का जवाब – “ये शांति नहीं, सरेंडर की मांग”
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इन शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया।
उनका कहना है कि यह यूक्रेन को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने की कोशिश है।
जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ आंद्रेई यरमाक ने बयान में कहा:“रूस युद्ध को रोकना नहीं चाहता, बल्कि उसे नए तरीके से आगे बढ़ाना चाहता है। अब वक्त है कि रूस पर नए प्रतिबंध लगाए जाएं।”
तुर्किए और अमेरिका की मध्यस्थता
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने भरोसा जताया कि वे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिलकर तीसरे दौर की वार्ता को संभव बना सकते हैं।वहीं रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि शांति तभी संभव है जब यूक्रेन के संघर्ष की जड़ों को खत्म किया जाए।
लावरोव ने दोहराया कि,”रूस लड़ाई रोकने को तैयार है, लेकिन यूक्रेन की राजनीतिक संरचना और पश्चिमी हस्तक्षेप के कारण समस्या बनी हुई है।”
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शांति की आशा या नया गतिरोध?
रूस और यूक्रेन के बीच तीसरे दौर की बातचीत को लेकर उत्साह जरूर है, लेकिन मूल मुद्दों पर मतभेद अब भी गहरे हैं।
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रूस चाहता है कि युद्ध में जीते गए क्षेत्रों को मान्यता दी जाए।
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जबकि यूक्रेन इसे अपनी संप्रभुता और लोकतंत्र पर हमला मानता है।
अगर दोनों पक्ष अपनी मांगों में लचीलापन नहीं दिखाते, तो तीसरे दौर की वार्ता भी अधर में लटक सकती है।