Wednesday - 2 July 2025 - 4:29 PM

ट्रंप ने उठाई जन्मजात अमेरिकी नागरिकों को भी डिपोर्ट करने की मांग 

जुबिली न्यूज डेस्क

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। 1 जुलाई को फ्लोरिडा में एक प्रवासी हिरासत केंद्र के दौरे के दौरान ट्रंप ने कहा कि वह गंभीर अपराध करने वाले कुछ अमेरिकी नागरिकों को भी देश से निकालने (डिपोर्ट करने) की वकालत करते हैं — भले ही वे यहीं पैदा हुए हों

ट्रंप का विवादित बयान:

“अगर किसी ने किसी को बेसबॉल बैट से मारा है, तो उसे अमेरिका में रहने का कोई हक नहीं है, चाहे वो यहीं पैदा क्यों न हुआ हो। ऐसे लोग हमारे समाज के लिए खतरा हैं और इन्हें डिपोर्ट किया जाना चाहिए।”ट्रंप ने न्यूयॉर्क शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां जानबूझकर किए गए अपराधों की संख्या बढ़ी है, जो सिर्फ ‘हादसे’ नहीं बल्कि सोची-समझी आपराधिक हरकतें थीं।

 क्या कहता है अमेरिकी कानून?

  • अमेरिका में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति जन्म से नागरिकता (birthright citizenship) प्राप्त करता है।

  • अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन इस अधिकार की गारंटी देता है।

  • किसी नागरिक को डिपोर्ट नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसकी नागरिकता धोखाधड़ी से प्राप्त न की गई हो।

मानवाधिकार संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

ट्रंप के इस बयान पर मानवाधिकार समूहों और कानूनी विशेषज्ञों ने तीखी आलोचना की है:“यह बयान संविधान का सीधा उल्लंघन है। अमेरिका में जन्मे नागरिकों को देश से निकालने की बात करना न केवल खतरनाक है, बल्कि यह तानाशाही मानसिकता की ओर इशारा करता है।” – US Human Rights Watch“अपराधियों को सजा देना अदालत का काम है, डिपोर्ट करना नहीं।” – Legal Aid Society

 क्या ट्रंप की अगली सरकार में यह संभव है?

डोनाल्ड ट्रंप ने इस नीति को अपनी संभावित दूसरी सरकार की प्राथमिकता बताया है।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि:

  • इसके लिए संविधान संशोधन करना होगा

  • सुप्रीम कोर्ट में गंभीर संवैधानिक चुनौती पेश की जाएगी

  • ट्रंप की योजना कानूनी रूप से अमल में लाना बेहद मुश्किल होगा

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ट्रंप पहले भी अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी नीतियों को लेकर जाने जाते रहे हैं।
लेकिन इस बार उन्होंने जन्मजात नागरिकों को भी टारगेट कर दिया है — जिससे ये मुद्दा संवैधानिक बहस और चुनावी राजनीति का केंद्र बन गया है।

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ट्रंप का यह बयान जहां अपराधियों के खिलाफ सख्ती दिखाने की कोशिश है, वहीं यह संविधान के बुनियादी अधिकारों पर भी सवाल खड़ा करता है। आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा अमेरिका के चुनावी विमर्श और अदालतों दोनों में बड़ा मोड़ ले सकता है।

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