जुबिली स्पेशल डेस्क
वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों के प्रमुखों या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों के अनुरोधों को ही विचार में लिया जाएगा।
आयोग ने यह कदम उन हालातों के मद्देनज़र उठाया है, जहां विभिन्न दलों की ओर से अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा लगातार विरोधाभासी ईमेल और शिकायतें भेजी जा रही थीं। इससे प्रक्रिया में भ्रम की स्थिति बन रही थी।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अब कोई भी अनधिकृत व्यक्ति या संस्था अगर वोटर लिस्ट में संशोधन को लेकर संपर्क करती है, तो उसकी बात पर विचार नहीं किया जाएगा। केवल उन्हीं प्रतिनिधियों की याचिकाएं या सुझाव स्वीकार किए जाएंगे, जिन्हें आधिकारिक रूप से संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा नामित किया गया हो और जो आयोग के रिकॉर्ड में पंजीकृत हों।
इस फैसले का उद्देश्य वोटर लिस्ट सुधार प्रक्रिया को पारदर्शी, स्पष्ट और अनावश्यक हस्तक्षेप से मुक्त बनाना है।