नई दिल्ली, — भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति को वैश्विक मंचों तक पहुँचाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत सात अलग-अलग डेलिगेशन बनाए गए हैं, जिन्हें विश्व के प्रमुख देशों में भेजा जा रहा है। इन डेलिगेशन में सांसदों और नेताओं को शामिल किया गया है, जो भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेंगे।
शशि थरूर ने कहा — “भारत अब चुप नहीं रहेगा”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार (23 मई, 2025) को यात्रा पर रवाना होने से पहले एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने कहा,”हम दुनिया को बताएंगे कि भारत आतंकवाद से डरता नहीं है। हम चुप नहीं बैठेंगे और सच्चाई को सामने लाकर रहेंगे। ये मिशन शांति का है, और हम साबित करेंगे कि भारत शांति की राह पर है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख अपनाए हुए है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे किसी से बहस करने नहीं, बल्कि भारत का दृष्टिकोण साझा करने और संवाद के माध्यम से समझ पैदा करने जा रहे हैं।
भारत ने 7 डेलिगेशन बनाए, कुल 59 सांसद होंगे शामिल
भारत सरकार ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तैयार किया है, जिसमें कुल 59 सदस्य शामिल हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के 30 से अधिक देशों की यात्रा पर भेजे जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य भारत में हुए हालिया आतंकी घटनाओं और ऑपरेशन सिंदूर के जवाब को वैश्विक मंचों पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना है।
ग्रुप 5: अमेरिका, पनामा, ब्राजील और कोलंबिया का दौरा
शशि थरूर के नेतृत्व में इस डेलिगेशन में शामिल हैं:
-
डॉ सरफराज अहमद
-
शांभवी
-
जीएम हरीश बालयोगी
-
शशांक मणि त्रिपाठी
-
भुवनेश्वर कलिता
-
तेजस्वी सूर्या
-
मिलिंद देवड़ा
किस देश में कौन सा ग्रुप जाएगा – पूरी सूची
ग्रुप | देश |
---|---|
ग्रुप 1 | सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया |
ग्रुप 2 | यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली, डेनमार्क |
ग्रुप 3 | इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, सिंगापुर |
ग्रुप 4 | यूएई, लाइबेरिया, कांगो, सिएरा लियोन |
ग्रुप 5 | अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया |
ग्रुप 6 | स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया, रूस |
ग्रुप 7 | मिस्र, कतर, इथियोपिया, दक्षिण अफ्रीका |
ये भी पढ़ें-दुनिया में छा रहे हैं ‘मेड इन यूपी’ प्रोडक्ट्स, आंकड़े बता रहे हैं सफलता की कहानी
भारत की आतंकवाद नीति पर वैश्विक समर्थन का प्रयास
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं है, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाने की रणनीति है। इस मिशन का उद्देश्य यह भी है कि भारत दुनिया को यह दिखा सके कि उसने आतंकवाद से कितना कुछ सहा है और अब वह इसका निर्णायक जवाब देने को तैयार है।