जुबिली न्यूज डेस्क
प्योंगयांग – उत्तर कोरिया के सैन्य प्रतिष्ठान को उस समय बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब देश का नया युद्धपोत, जिसका वजन करीब 5000 टन बताया गया है, तानाशाह किम जोंग उन की मौजूदगी में समुद्र में लॉन्चिंग के दौरान ही पलट गया। यह घटना न केवल उत्तर कोरिया के रक्षा कार्यक्रम की एक असफलता मानी जा रही है, बल्कि इसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी असर पड़ सकता है, खासकर रूस के साथ सहयोग के संदर्भ में।
घटना का विवरण
इस घटना की पुष्टि CBS न्यूज और सैटेलाइट इमेजेस के जरिए हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, युद्धपोत को समुद्र में उतारने की प्रक्रिया के दौरान उसका पिछला हिस्सा पहले पानी में गया, जिससे संतुलन बिगड़ गया। इससे जहाज के निचले हिस्से में छेद हो गया और वह आंशिक रूप से पलट गया। बाद में, इसे नीले कपड़ों से ढक दिया गया ताकि नुकसान को मीडिया और सैटेलाइट से छिपाया जा सके।
किम जोंग उन का उग्र रुख
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने इस पूरी घटना को “गंभीर, अस्वीकार्य और आपराधिक लापरवाही” बताया है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने दोषियों को “मौत की सज़ा” तक देने की चेतावनी दी है। किम की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि यह घटना केवल तकनीकी विफलता नहीं बल्कि उनके शासन की प्रतिष्ठा पर एक बड़ा धब्बा मानी जा रही है।
रूस की भूमिका पर सवाल
माना जा रहा है कि इस युद्धपोत के निर्माण में रूस की सहायता ली गई थी। रूस और उत्तर कोरिया के बीच हाल ही में सैन्य सहयोग को लेकर कुछ समझौते हुए थे, जिसमें तकनीकी और डिजाइन सहायता शामिल थी। इस घटना के बाद इन समझौतों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, रूस की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पृष्ठभूमि: उत्तर कोरिया की सैन्य महत्वाकांक्षाएं
उत्तर कोरिया वर्षों से सैन्य शक्ति के विस्तार की दिशा में प्रयासरत रहा है। मिसाइल परीक्षणों से लेकर पनडुब्बियों के निर्माण तक, वह लगातार अपने हथियारों के जखीरे को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में यह विफलता न केवल उसके सैन्य अभियानों को धक्का देती है बल्कि उसके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दावे पर भी सवाल खड़े करती है।
दूसरी लॉन्चिंग पर चुप्पी
इसी महीने उत्तर कोरिया ने एक और युद्धपोत की लॉन्चिंग चोंगजिन बंदरगाह पर की थी, लेकिन उस कार्यक्रम की कोई तस्वीर या वीडियो सार्वजनिक नहीं की गई। यह असामान्यता उत्तर कोरिया की सामान्य प्रचार रणनीति के विपरीत है, जहाँ किम जोंग उन के सैन्य अभियानों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा करना इस बात की ओर इशारा करता है कि दूसरी लॉन्चिंग भी असफल रही हो सकती है या फिर घटना की संवेदनशीलता इतनी अधिक है कि उसे गुप्त रखा गया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अभी तक अमेरिका, दक्षिण कोरिया या जापान की ओर से इस घटना पर कोई सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना उत्तर कोरिया की सैन्य क्षमताओं पर पुनर्विचार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन सकती है।
विश्लेषण: सैन्य विफलता या रणनीतिक संकेत?
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि इस विफलता से उत्तर कोरिया को झटका जरूर लगा है, लेकिन इससे वह और आक्रामक हो सकता है। अतीत में भी, जब उत्तर कोरिया ने किसी सैन्य या कूटनीतिक विफलता का सामना किया है, तब उसने अक्सर मिसाइल परीक्षण या उकसाने वाले कदमों का सहारा लिया है ताकि घरेलू असंतोष और अंतरराष्ट्रीय ध्यान को भटकाया जा सके।
दूसरी ओर, यह घटना उत्तर कोरियाई नौसेना की तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। यह भी स्पष्ट है कि तकनीकी सहयोग होने के बावजूद गुणवत्ता नियंत्रण और परियोजना प्रबंधन में बड़ी खामियां हैं।
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उत्तर कोरिया की इस सैन्य असफलता ने न केवल उसके आंतरिक तंत्र की कमज़ोरियों को उजागर किया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किम जोंग उन इस झटके के बाद किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं – क्या वे आक्रामक रुख अपनाएंगे या इस विफलता से कुछ सबक लेकर सुधार की ओर बढ़ेंगे?एक बात तो तय है: उत्तर कोरिया का यह “महासैनिक अपमान” दुनिया की निगाहों में है।