नवेद शिकोह
हम सफलतापूर्वक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कौन होते थे सीजफायर करवाने वाले !
भारत की आम जनता का ऐसा गुस्सा जायज है लेकिन सच के रहस्य के पीछे एक ऐसे बड़े दुश्मन की धुंधली तस्वीर दिख रही है जिसकी खामोश साजिशों की तरफ भारत की आम जनता का ध्यान नहीं गया है।ये सच है कि दोस्त और दुश्मन बराबर के होते हैं। पाकिस्तान से हमारी कोई बराबरी नहीं। भारत दुनिया का बड़ा लोकतंत्र है, धर्मनिरपेक्षता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। पाकिस्तान की कोई हैसियत नहीं।
इसे अपना दुश्मन भी कहना अपनी बेइज्जती करने जैसा है। राष्ट्र नहीं आतंकी समूह है पाक जो दूसरों के टुकड़ों पर पलता है।
ये इसलिए भी कमजोर है कि यहां धर्मनिरपेक्षता नहीं। यहां लोकतंत्र होता तो निर्वाचित सबसे बड़े नेता इमरान खान को जेल में नहीं ठूंसा जाता।
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भीख का कटोरा और आतंक के कलंक वाले पाकिस्तान की कोई हैसियत नहीं, लेकिन फिर भी हमें सावधान रहना है। क्योंकि पाक की कोख में जो साजिशें और दुस्साहस पलते दिख रहे हैं इसका पिता कोई बड़ी ताकत है।
चीन का रुख बार-बार एहसास दिलाता है कि वो भारत से बैर रखता है। वो पागल के साथ में पत्थर दे सकता है। बंदर के साथ में उस्तरा दे सकता है। चीन पाकिस्तान की जमीन पर हमारे खिलाफ खतरों का बारूद बिछाने का दुस्साहस कर सकता है। अनुमान लगाया जा सकता है कि अमेरिका को कुछ संकेत मिले तो उसने सीजफायर में अपनी भूमिका निभाई।
अब लगने लगा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार पर अख्तियार चीन का है। और पाकिस्तान के परमाणु हथियार को पाकिस्तान के ही कंधे पर रखकर वो दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों को ब्लेकमैल करने का नाजायज़ खेल खेल रहा है।
हालांकि भारत ने अपना सख्त रुख दिखाते हुए साफ कह दिए हैं कि परमाणु हथियार को लेकर कोई ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)