जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के ऐलान के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। इसे जहां मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है, वहीं सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भाजपा अब जातिगत राजनीति की ओर बढ़ रही है? इस बहस के बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने साफ किया है कि भाजपा धर्म के मुद्दे से पीछे नहीं हटेगी।
केशव मौर्य ने जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम और रोटी के बीच सेतु बनाकर राजनीति के सारे समीकरण बदल दिए हैं। कांग्रेस चाहती तो अपनी सरकार में जातीय जनगणना करा सकती थी, लेकिन उस वक्त राहुल गांधी के पास घूमने के अलावा कोई काम नहीं था।”
“जातीय जनगणना भी मोदी के हाथों होना तय था”
केशव मौर्य ने ट्वीट में कहा, “दशकों तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस के शाही परिवार के पास डॉ. मनमोहन सिंह सरकार का रिमोट कंट्रोल था। वो जातीय जनगणना कराकर उपेक्षित पिछड़ों के साथ न्याय कर सकते थे। लेकिन राहुल गांधी बतौर सांसद सिर्फ घूमते रहे। संसद के पास उनके दौरों का कोई रिकॉर्ड तक नहीं था, जबकि प्रोटोकॉल के तहत यह जरूरी था।”
उन्होंने आगे लिखा, “प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले हुंकार भरी कि उनका ताल्लुक़ पिछड़ा वर्ग से है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने राम और रोटी के बीच सेतु बनकर देश की राजनीति के तमाम समीकरण बदल दिए। कांग्रेस तब से पिछड़ा-पिछड़ा का राग अलापने लगी। जातीय जनगणना जैसा महत्त्वपूर्ण काम भी मोदी जी के हाथों होना तय था।”
“कांग्रेस की राजनीति खत्म, मोदी की वहीं से शुरू”
मौर्य ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस और उसके साथी दलों की राजनीति जहां खत्म होती है, मोदी जी की राजनीति वहीं से शुरू होती है। यह हुनर वो कई बार दिखा चुके हैं।”
डिप्टी सीएम ने कहा कि जातीय जनगणना कराने का श्रेय पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने मोदी को पिछड़ों, दलितों और वंचितों का मसीहा बताया और कहा कि “इस फैसले के बाद विपक्षी नेताओं की नींद उड़ गई है।”
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राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की चर्चा
केशव मौर्य का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय जनगणना से उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में सियासी समीकरण बदल सकते हैं। वहीं, भाजपा के इस कदम को विपक्ष के जाति आधारित राजनीति के एजेंडे को कमजोर करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
फिलहाल, भाजपा की रणनीति साफ कर रही है कि जातीय जनगणना के बावजूद पार्टी हिंदुत्व और विकास के एजेंडे से पीछे नहीं हटेगी।