जुबिली न्यूज डेस्क
मुंबई: विले पार्ले स्थित 90 साल पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को बीएमसी (BMC) द्वारा तोड़े जाने के बाद जैन समाज में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस कार्रवाई के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। समाज ने इसे धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
जैन मंदिर पर बीएमसी का तर्क और कोर्ट का आदेश
बीएमसी का कहना है कि मंदिर का कुछ हिस्सा उस जमीन पर बनाया गया था, जो किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए आवंटित थी। इसके चलते नोटिस के बाद यह कार्रवाई की गई। बीएमसी ने यह भी बताया कि हाल ही में सिटी सिविल कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
विधायकों का विरोध और राजनीतिक हलचल
महाराष्ट्र विधानसभा में जैन समाज के सात विधायक हैं, जिनमें छह भाजपा और एक निर्दलीय हैं। इनमें से मालाबार हिल से विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा ने बीएमसी की इस कार्रवाई का खुलकर विरोध किया है। यह मामला अब सरकार बनाम अपनी ही पार्टी के विधायकों के टकराव की शक्ल लेता जा रहा है।
जैन मंदिर में खुले में भगवान, टूटे स्थान पर पूजा
कार्रवाई के बाद मंदिर में भगवान की मूर्तियां खुले में हैं। विरोध शुरू करने से पहले जैन समाज ने वहीं पूजा-अर्चना और आरती की। समाज ने यह संदेश भी दिया कि विरोध अहिंसक होगा, लेकिन आस्था से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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धार्मिक वस्तुओं से छेड़छाड़ का आरोप
जैन समाज ने नगर निगम कर्मचारियों पर मंदिर की धार्मिक पुस्तकें और मूर्तियों को सड़क पर फेंकने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई जल्दबाजी और भेदभावपूर्ण तरीके से की गई। समाज की मांग है कि मंदिर को पुनः उसी स्थान पर स्थापित किया जाए।