जुबिली न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र विधानसभा से भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन मामले में राज्य की महा अघाड़ी सरकार को झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट नेे विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया है।

गौरतलब है कि पिछले साल 6 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा के पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।
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निलंबित होने वाले विधायकों में आशीष शेलार, अतुल भातखलकर, नारायण कुचे, गिरिश महाजन, अभिमन्यु पवार, संजय कुटे, पराग अलवणी, राम सातपुते, योगेश सागर, कीर्ति कुमार बागडिया, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल शामिल हैं।
इन सभी विधायकों पर आरोप है कि ये लोग आरक्षण को लेकर हंगामा कर रहे थे। निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कामकाज मंत्री अनिल परभ द्वारा लाया गया था, जिसे ध्वनि मत से मंजूर किया था।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस सत्र में हंगामा हुआ, विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है।
गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की थी।
शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने इसे तर्कहीन बताया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरे के समान है।
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अदालत ने कहा था, विधायकों का एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है। कोर्ट ने माना निलंबन के दौरान विधायकों के संबंधित विधानसभा क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो सका।
अदालत ने कहा कि निष्कासन की स्थिति में उक्त रिक्ति को भरने के लिए एक प्रक्रिया है। एक साल का निलंबन विधायकों के विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए सजा समान है।
अदालत ने कहा कि बिना विधायकों के उनके निर्वाचन क्षेत्रों का विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता।
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