जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल वैवाहिक विवाद में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “राजा-महाराजा की तरह बर्ताव न करें”, क्योंकि भारत में पिछले 75 वर्षों से लोकतंत्र कायम है। ये फटकार उस दंपति को दी गई जो कथित रूप से शाही और सैन्य परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और जिनका विवाद रोल्स रॉयस कार और मुंबई के फ्लैट तक पहुंच चुका है।
क्या है मामला?
ग्वालियर की रहने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पति और ससुरालवालों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि उनसे दहेज में 1951 मॉडल की रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट की मांग की गई थी। जब ये मांगें पूरी नहीं हुईं, तो ससुरालवालों ने शादी को मानने से इनकार कर दिया और चरित्र हनन शुरू कर दिया।दूसरी ओर, पति ने पत्नी और उसके परिवार पर विवाह प्रमाण पत्र में जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।
अदालत की कड़ी टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट कहा:“राजा-महाराजा की तरह व्यवहार न करें। लोकतंत्र को 75 साल हो चुके हैं। अगर आपसी सहमति से समाधान नहीं निकला तो तीन दिन में कोर्ट सख्त आदेश देगी।”
कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से कहा कि वे अपने मुवक्किलों से बात करें और अगली सुनवाई से पहले अदालत को उनके इरादे से अवगत कराएं।
रोल्स रॉयस बनी विवाद की जड़
इस मामले में खास बात ये है कि विवाद का केंद्र 1951 की रोल्स रॉयस कार है, जिसकी कीमत 2.5 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। दावा है कि ये कार भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की महारानी के लिए बनवाई थी।
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कोर्ट ने मध्यस्थता को दी एक और कोशिश
वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने कोर्ट से आग्रह किया कि दोनों पक्षों के बीच समाधान की संभावना तलाशने का एक और अंतिम प्रयास किया जाए। कोर्ट ने अगले हफ्ते के लिए सुनवाई तय की है।