Sunday - 7 January 2024 - 1:34 PM

बंदी से अब तक कश्मीर में कारोबार को 10,000 करोड़ का नुकसान

न्यूज डेस्क

5 अगस्त को केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने के बाद पिछले तीन माह से बंदी है। इस बंदी की वजह से घाटी के कारोबारी समुदाय को 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

यह दावा कश्मीर के एक उद्योग चैंबर ने किया है। गौरतलब है कि इस साल 5 अगस्त को ही अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया गया था और तब से रविवार तक 84 दिन हो चुके हैं। घाटी के मुख्य बाजार अब भी बंद हैं और सड़कों पर सार्वजनिक वाहन भी नहीं चल रहे हैं।

हालांकि श्रीनगर के लाल चौक जैसे कुछ इलाकों में कुछ घंटों के लिए दुकानें खुल रही हैं, लेकिन मुख्य बाजार अब भी बंद हैं। कश्मीर चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख आशिक ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं, इसलिए कितना नुकसान हुआ है, इसका पूरी तरह से अंदाजा लगाना आसान नहीं है, लेकिन यह झटका इतना बड़ा है कि इसकी भरपाई आसान नहीं है।

शेख आशिक ने कहा, ‘कश्मीर में कारोबारियों का नुकसान 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है और सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। तीन महीने बीत चुके हैं, पर हालात ऐसे हैं कि लोग कारोबार नहीं कर रहे हैं। हाल के हफ्तों में कुछ गतिविधि नहीं देखी गई, लेकिन फीडबैक ऐसा मिल रहा है कि कारोबार फीका है।’ आशिक ने कहा कि कारोबार में नुकसान उठाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इंटरनेट सेवाएं बंद है।

उन्होंने कहा, ‘आज के समय में किसी भी कारोबार की बुनियादी जरूरत इंटरनेट है, जो कि उपलब्ध नहीं है। हमने गवर्नर प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी थी कि इससे कश्मीर में कारोबार प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। इसके दीर्घकालिक स्तर पर गंभीर नतीजे होंगे।

आशिक ने कई सेक्टर का उदाहरण देते हुए कहा कि आईटी सेक्टर आगे बढऩे वाला सेक्टर है। यहां से कई कंपनियां अमेरिका, यूरोप तक अपनी सेवाएं दे रही थीं, लेकिन इंटरनेट सुविधाओं के निलंबित होने से उनका कारोबार प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘हम यदि हैंडीक्राफ्ट सेक्टर का ही उदाहरण लें तो इसमें जुलाई से अगस्त तक ऑर्डर हासिल होते हैं और क्रिसमस-नववर्ष के आसपास माल की आपूर्ति करनी होती है, लेकिन इस बार तो ऑर्डर मिलना ही मुश्किल है। किसी तरह की कनेक्टिविटी ही नहीं है, इस वजह से कोई ऑर्डर नहीं मिल पा रहा। इसकी वजह से 50,000 बुनकरों और शिल्पकारों की नौकरियां खतरे में हैं।’

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