Wednesday - 10 January 2024 - 5:02 PM

सेना के शौर्य पर सियासी लाभ उठाना सही नहीं

सुधांशु त्रिपाठी

हमारे लिए आज की शाम बेहद खास रही। भारतीय सेना में 36 साल तक कार्य चुके सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अमृत कपूर से आत्मीय मुलाकात हुई। ब्रिगेडियर कूपर से मिलने के बाद कोई भी हिन्दुस्तानी उनकी बेबाकी, साफगोई और स्पष्टवादिता का कायल हो जाएगा।

उन्होंने अपने परिचय के दौरान बताया कि वह सेना की राजपूत रेजीमेंट की ओर से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मन देश के दांत खट्टे कर चुके हैं। इसके अलावा भी ब्रिगेडियर कूपर ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, असम और नार्थ ईस्ट में सरहद पर जवानों का नेतृत्व कर चुके हैं।

सेना ने अभूतपूर्व पराक्रम

पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले के बाद भारतीय वायुसेना की ओर से लाइन आफ कंट्रोल पार करके पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक की कार्रवाई को उन्होंने जरूरी और सही कदम बताया। साथ ही कहा कि इतिहास गवाह है कि जब कभी भी भारत सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है। हमारी भारतीय सेना ने अभूतपूर्व पराक्रम दिखाते हुए अपने टारगेट को हासिल किया है।

सबूत मांगना शर्मनाक

पठानकोट और उरी में आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा के पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना का मनोबल आसमान छू रहा है। मगर, सेना के पराक्रम पर सत्ताधारी दल के द्वारा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करना और विपक्ष दलों की ओर से सरकार से सबूत मांगना उतना ही दुखद और शर्मनाक है।

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ऐसा नहीं होना चाहिए, इससे बार्डर तैनात जवानों को मन ही मन कष्ट होता है। उन्होंने साफतौर कहा कि सेना से जुड़ी जानकारियां और कार्रवाई की बातें पब्लिक डोमेन में कतई नहीं आनी चाहिए। इससे देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को खतरा पैदा होता है।

भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक

भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक है। इस एयर स्ट्राइक में हमारी वायुसेना ने मैनुअल इंटेलिजेंस, डिजीटल इंटेलिजेंस और खुफिया विभाग की जानकारी का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। अमेरिकी एफ-16 विमान को मिग-21 से मार गिराने का साहस हमारे भारतीय विंग कमांडर ही दिखा सकते हैं।

ब्रिगेडियर कपूर ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की यादों को ताजा करते हुए बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहती थी कि सेनाध्यक्ष मानेकशां मार्च में ही पाकिस्तान पर हमला बोल दें। लेकिन उन्होंने साफतौर पर इससे मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैडम आप युद्ध जीतना चाहती हैं या नहीं।

इंदिरा गांधी ने दिखाया बड़प्पन
इंदिरा जी ने कहा- हां बिलकुल जीतना चाहती हूं। तब जनरल मानेकशां ने कहा आप हमें छह महीने का समय दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि जीत शर्तिया आपकी ही होगी। इंदिरा गांधी ने बड़प्पन और समझदारी दिखाते हुए अपने जनरल की बात मान ली। इसके बाद का भारत का इतिहास और भूगोल कैसे बदल गया दुनिया ने देखा था।

कमोबेश, वर्तमान में भी वैसी ही दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिखाई है। जिसकी हर हिन्दुस्तानी को सराहना करनी चाहिए। देश की सुरक्षा और संप्रभुता के सवाल पर सभी विपक्ष दलों को सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए।

ब्रिगेडियर कपूर ने बताया कि भारतीय सेना को हमारी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार ही नियंत्रित करती है। बिना सरकार की अनुमति के सेना कोई भी एक्शन नहीं लेती है। किसी भी सैन्य अभियान या आपरेशन की सूचना या जानकारी जनता को बताने या नहीं बताने का फैसला अंतत्वोगत्वा सरकार ही लेती है। किसी भी प्रकार की सर्जिकल स्ट्राइक या सैन्य अभियान के बारे में आम लोगों को बताया जाना जरूरी भी नहीं होता है। देश के सामरिक हित में यह लोगों को न ही बताया जाय तो ज्यादा बेहतर है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है, यह उनके निजी विचार है, फेसबुक वॉल से)

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