Thursday - 11 January 2024 - 11:09 AM

नजरबंदी में जर्मन ओपेरा का संचालन करेगा ये निर्देशक

अंकित प्रकाश , फ्रैंकफर्ट से

रूस के एक निर्देशक,किरिल सेरिब्रेनिंकोव बिना इंटरनेट और फोन के मास्को में अपने घर में नजरबंद रखे गए हैं, इसके बावजूद किरिल का एक नया ओपेरा जर्मनी में दिखाए जाने के लिए बिल्कुल तैयार है।ये ओपेरा हैम्बर्ग में दिखाया जाना है और इसका विषय अप्रवासी विरोधी राजनीति है। ये मुद्दा यूरोप के शरणार्थी संकट के दौरान खास तौर पर भड़क गया था।

किरिल, रूसी रंगमंच, सिनेमा और बेले डांस के जगत में एक जाना माना नाम हैं। प्रसिद्ध कला निर्देशक, रूसी कला सेंसरशिप के एक प्रमुख आलोचक पर सार्वजनिक कोश में 2 मिलियन डालर का गबन का आरोप है और दोषी पाए जाने पर इनको लंबी सजा हो सकती है।

फिलहाल इन्हें मास्को में अपने ही घर में दो साल के लिए नजरबंद रखा गया है। किरिल अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार करते हैं।

टेलीफोन और इंटरनेट की गैमौजूदगी में ही एक समर्पित वकील और एक दोस्त (जो कि सह निर्देशक भी हैं) की मदद से ओपेरा का संचालन कैसे हो सका ये जानना बड़ा दिलचस्प है। शो को संभव बनाने के लिए उनकी टीम अपने रिहर्सल की वीडियो क्लिप्स बना कर, यूएसबी ड्राइव में रोज़ एक वकील की मदद से लगातार भेजती रही।

किरिल इं क्लिप्स को देख कर अपने कमेंट्स के वीडियो बना कर उसी यूएसबी ड्राइव में कॉपी करके वापस अपनी टीम को भेजते रहे।इस तरह उन्होंने दूर से ही गायकों, पोशाक डिजाइनरों और कलाकारों को प्रदर्शन के लिए निर्देशित किया और यह ओपेरा अब प्रदर्शन के लिए बिल्कुल तैयार है। उनके सह निर्देशक बताते हैं कि हर रिहर्सल में अपने निर्देशक का वीडियो कमेंट्स देखना काफी अजीब था लेकिन वो खुश हैं कि अंत में सब काम कर गया।

सेरिब्रेनिंकोव के समर्थक मानते है कि उनकी कानूनी परेशानियां ऑर्केस्ट्रेटेड हैं क्यूंकि उन्होंने संवेदनशील राजनैतिक और यौन मुद्दों को अपने नाटकों में उठाया था जो  कि रूस की रूढ़िवादिता के खिलाफ है।

निर्देशक के मित्र कुलीगन के अनुसार वो अपने साथी को अपने स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति की वजह से कलात्मक स्वतंत्रता के एक सेनानी के तरह मानते हैं। वो खुश हैं कि कोई तो ऐसा है जो बिना वजह डरता नहीं है।

इस बार ओपेरा का एक मुद्दा एक ऐसा अभिनेता है जो अपनी ही फिल्म “लेटो” की २०१८ कान फिल्म फे्टिवल में इसलिए मौजूद नहीं था क्यूंकि उसे शूटिंग के दौरान है गिरफ्तार कर लिया गया था।यह फिल्म सोवियत राक को एक श्रद्धांजलि थी।

दूसरा विषय शरणार्थियों की ए्सक्लूसिव लंबी लाइन दिखाता है। इसी लाइन में किरिल ने दो मुद्दे और खोज निकाले हैं। एक तो ड्रेसडेन जर्मनी में “इस्लाम विरोधी पैगोडा मार्च” और दूसरा “सभी शरणार्थी अतंकवादी नहीं”।

किरिल ने अपने ओपेरा के एक गीत में 35 शरणार्थियों को भी शामिल किया है। इस गीत को उन्होंने ने स्लेव कोयर (दास गीत) का नाम दिया है जिसके बोल ओ माई कंट्री, सो ब्यूटीफुल एंड लोस्ट (ऐ मेरे देश कितना सुंदर पर बर्बाद) हैं।

किरिल का कहना है कि हम कोई सबक नहीं देना चाहते हैं, हम किसी समकालीन समस्या का जवाब नहीं दे रहे हैं। हम सिर्फ और सिर्फ सवाल उठा रहे हैं और ये हमारा अधिकार है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com