Saturday - 6 January 2024 - 8:29 PM

नहीं रहे हिंदी साहित्य जगत में आलोचना के रचना पुरुष

हिंदी जगत के मशहूर साहित्यकार और आलोचना की विधा के शिखर पुरुष नामवर सिंह पिछले एक महीने से AIIMS ट्रामा सेंटर में भर्ती थे। ब्रेन हैमरेज की वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। 92 साल के नामवर सिंह को डॉक्टर ठीक करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मंगलवार देर रात AIIMS में उन्होंने आखिरी सांस ली।

नामवर सिंह अपने कमरे में गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया था जहां उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई।इससे पहले भी उन्हें जनवरी में तबीयत खराब होने की वजह से आईसीयू में भर्ती करवाया गया था, जहां इलाज के बाद उनकी सेहत ठीक हो गई थी।

आजाद भारत के साहित्य की दुनिया में नामवर सिंह सर्वाधिक चर्चित नाम रहा था। कहा जाता है कि उनकी ऐसी कोई किताब नहीं थी जिस पर वाद-विवाद या संवाद न हुआ हो। वह पूरे देश में घूम-घूमकर अपने व्याख्यानों और साक्षात्कारों से सांस्कृतिक हलचल उत्पन्न करते थे। नामवर सिंह को साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य जगत में आलोचना को नया मुकाम दिया। इनका जन्म 28 जुलाई1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था।

प्रमुख रचनाएं- बकलम खुद, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी,  कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद और संवाद

शोध- हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग, पृथ्वीराज रासो की भाषा

साक्षात्कारकहना न होगा

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