Monday - 8 January 2024 - 9:47 PM

तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना

सुरेन्द्र दूबे

हमे आज सुबह से एक गाने की बड़ी याद आ रही है। ये गाना है-गरीब जान के हमको न तुम सता देना, तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना।
यह गाना वर्ष 1956 में आई छूमंतर फिल्म का है, जिसे मोहम्मद रफी ने गया था। नई पीढ़ी के लोगों ने तो शायद यह गाना सुना ही नहीं होगा। हमने भी यह गाना अपनी तरुणाई के दौर में सुना था क्योंकि जब यह फिल्म रिलीज हुई तब हम 7 वर्ष के ही थे। पर तरुणाई के दौर में सुना यह गाना आज फिर याद आ गया।

ये गाना याद क्यों आया लगे हाथ ये भी बता देते है। कोरोना से पीडि़तों का जल्दी से जल्दी पता लगाने के लिए काफी दिनों से चीन से रैपिड टेस्ट किट मंगाने की कवायद चल रही थी। कभी ये कहा जाता था कि रैपिड टेस्ट किट अमेरिका चली गयी है तो कभी माल न होने का बहाना बनाया जा रहा था। भारत की उपेक्षा कर किट पहले अमेरिका को दिया जाना हमें फूटी आंख सुहा नही रहा था, पर हम अमेरिका को इस दादागिरी के लिये डांट तो नही सकते थे।

आप को याद ही होगा की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के मामले में हमें ट्रम्प साहब ने कितनी जोर से डांटा था। हमने तुरंत माल भिजवा दिया था। उनसे पंगा लेना ठीक नहीं था। हमने चीन को भी नहीं डांटा। कभी मौका मिला तो फिर गुजरात बुलाकर उनसे अपनी नारजगी जाहिर कर देंगे। इसलिये उनको भी नही डांटा। डांटते हम सिर्फ पाकिस्तान को हैं क्योंकि यही हमारी विदेश नीति है।

अब बड़ी मुश्किल से चीन ने रैपिड टेस्ट किट भेजी है। जब ये किट राजस्थान भेजी गयीं तो वहां के डॉक्टरों ने शोर मचाया कि किट से एक तरह के रिजल्ट नहीं मिल रहे है। हंगामा हुआ तो आईसीएमआर ने 48 घंटो तक टेस्ट किट के उपयोग पर पाबंदी लगा दी। अब यह संस्था कह रही है कि वह इस बात की पड़ताल करेगी कि टेस्ट किट में क्या खामी है। वैसे उसे पहले ही जांच पड़ताल कर किट भेजनी थी। भेजी ही तो कांग्रेस शासित राजस्थान क्यों भेजी। भाजपा शासित राज्य का मामला होता तो किट खराब होने का मुद्दा ही क्यों उठता। मामला रफा-दफा हो जाता। आखिर राष्ट्र प्रेम भी कोई चीज होती है, पर राष्ट्र विरोधी कांग्रेसियों ने रायता फैला ही दिया।

अब जब रायता फैल ही गया है तो फिर हम भी थोड़ा रायता फैला देते हैं। जिस तरह रैपिड टेस्ट किट के खराब होने की आशंका है हमे उसी तरह पीपीई किट व मास्क आदि की गुणवत्ता पर संदेह होने लगा है। जिस तरह हमारे डॉक्टर और नरसिंग स्टाफ कोरोना पाजीटिव हो रहे है और तमाम डॉक्टर शहीद हो रहे हैं उससे हमारे मन में यह आशंका और बलवती होती जा रही है कि कहीं डॉक्टरों को मिलने वाला साजो सामान घटिया तो नही है। ये सब किट पहली बार इस्तेमाल हो रही है इसलिए इनकी गुणवत्ता संदेह से परे नही है। किट चाहे चीन से आयी हो और चाहे अपने देश की हो,भ्रष्टाचार तो सब जगह है।

हमारे डॉक्टर सैनिकों से भी कठिन जंग लड़ रहे हैं। इन्हें तो ये भी नहीं मालूम कि दुश्मन कहां छिपा है। सरकार को डॉक्टरों को भी सैनिक मानते हुए मारने पर शहीद का दर्जा देना चाहिये। कोरोना जैसी लड़ाई तो किसी देश की सेना को नहीं लडऩी पड़ती है। डॉक्टरों को उत्तम किस्म का साजो सामान उपलब्ध कराया जाना चाहिये। ये महामारी प्रकृति प्रदत्त है इसलिये हमें नित्य उससे प्रार्थना करनी चाहिये-“तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना”।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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