Friday - 12 January 2024 - 7:41 PM

बच्‍चों के धरने से डरी सरकार !

सुरेंद्र दुबे

उत्‍तर प्रदेश सरकार राजधानी लखनऊ के पूराने इलाके में इमामबाड़ा के पास बने घंटाघर पर सीएए के विरूद्ध चल रहे महिलाओं के आंदोलन को समाप्‍त कराने के लिए नित नए-नए हथकंडे अपना रही है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को धरना स्‍थल पर टेंट नहीं लगाने दिया।

ताकि ठंडक से घबराकर महिलाएं धरना समाप्‍त कर दें। पर महिलाओं ने हिम्‍मत नहीं हारी और बगैर टेंट के भी लगभग दो हफ्ते से कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे धरना जारी है।

ठंड से बचने के लिए महिलाएं कंबल ओढ़ कर बैठी़ तो पुलिस उनके कंबल छीन ले गई। जो कुछ खाने का समान आता है उसके बटने में भी पुलिस अडंगा डालती है। ऐसा लग रहा है कि महिलाओं के साथ ही साथ बच्‍चों के धरने से भी सरकार डर गई है।

अब शासन ने धरना समाप्‍त कराने के लिए नया हथकंडा अपनाया है। यूपी की बाल कल्याण समिति ने धरने पर बैठी महिलाओं को नोटिस भेजा है कि वे बच्‍चों को धरना स्‍थल से हटाएं क्‍योंकि बच्‍चों के बैठने से बाल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। समिति ने इसके लिए अभिभावकों को नोटिस भी भेजा गया है।

न्यायालय बाल कल्याण समिति ने बच्चों के अभिभावकों को जारी नोटिस में कहा है कि 18 साल की आयु से कम वाले बच्चों को धरना स्थल से तुरंत हटाया जाए। ऐसा ना करने पर कार्यवाही की जाएगी।  नोटिस में कहा गया है कि बच्चों की दिनचर्या में उनके बचपन, शिक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में उन्हें तुरंत धरना स्थल से हटाएं ताकि बच्चों की दिनचर्या दोबारा शुरू हो सके। कई बच्चों को स्कूल भी छोड़ना पड़ रहा है, ऐसे में धारा 75 के अंतर्गत उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।

हमे नहीं याद पड़ता है कि किसी आंदोलन या धरना को समाप्‍त कराने के लिए बाल कल्‍याण समिति ने कभी कोई कार्रवाई की हो। लगता है कि या तो शासन बच्‍चों के नाम पर तमाम महिलाओं को धरना देने के अधिकार से व‍ंचित रखना चाहता है या फिर किसी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इसके पहले कई महिलाओं को पुलिस पकड़ कर थाने भी ले गई है। कई दर्जन मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं, जिसमें हिंदुस्‍तान के मशहूर शायर मुनव्‍वर राना के दो बेटियों के भी नाम शामिल हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए वहां तैनात पु‍रूषों को भी पुलिस डंडा मारकर भगाती रहती है।

यानी कि शासन धरना समाप्‍त कराने के लिए रोज कोई न कोई हथकंडा अपनाता रहता है। पर आज तक सरकार का कोई नुमाइंदा धरना स्‍थल पर बात करने या उन्‍हें समझाने-बुझाने के लिए नहीं गया। धरना स्‍थल पर सिर्फ एक झंडा लहरा रहा है वो है हमारा तिरंगा। वंदे मातरम के नारे लग रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं की बहुतायत है पर हिंदू-सिख व ईसाई सभी धर्मो के लोगों की उपस्थिति बनी हुई है। शासन की लाख कोशिश के बाद भी धरना सांप्रदायिक नहीं हो पा रहा है और यही शासन के लिए चिंता का विषय है।

धरना सांप्रदायिक हो जाता तो लाठी बरसाने में आसानी रहती। महिलाओं की हिम्‍मत की दाद देनी होगी कि पुलिस की तमाम भडकाऊ कार्रवाई के बावजूद महिलाएं शांतिपूर्वक धरना दे रहीं हैं, जिससे शासन बहुत अशांत है। देखते हैं कि बाल समिति की नोटिस धरने पर बैठी महिलाओं को कितना डरा पाती हैं। चलिए इस बहाने कम से कम ये तो पता चला कि सरकार को बच्‍चों की बड़ी चिंता है वर्ना उनके धरना स्‍थल पर बैठने का सरकार नोटिस क्‍यों लेती।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं) 

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