Saturday - 13 January 2024 - 5:48 PM

अयोध्या में क्यों लागू की गई धारा 144

न्‍यूज डेस्‍क

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के जिस मुकदमे पर देश भर की निगाहें लगी हैं उसकी सुनवाई अब समाप्ति की ओर बढ़ चली है। राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इस ऐतिहासिक मुकदमे की सुनवाई इसी सप्ताह पूरी हो जाएगी। गुरुवार या अधिकतम शुक्रवार तक सुनवाई पूरी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रख लेगा।

माना जा रहा है कि फैसला भी नवंबर के मध्य तक आ जाएगा क्योंकि 17 नवंबर को सुनवाई करने वाली पीठ की अगुआई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस सबसे इतना साफ है कि दीपावली के पहले सुनवाई पूरी हो जाएगी और दीपावली के बाद फैसला आ जाएगा।

इस बीच प्रशासन ने एहतियातन अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, सुनवाई के आखिरी हफ्ते से पहले जिला प्रशासन ने जिले में धारा 144 लागू कर दी है, जो 10 दिसंबर तक लागू रहेगी।

अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा, आगामी धार्मिक त्यौहारों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए धारा-144 लागू की गई है। हालांकि अयोध्या में 24 से लेकर 26 अक्टूबर तक दीपोत्सव का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस त्यौहार पर धारा-144 का कोई असर नहीं पड़ेगा।

14 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित मामले के आखिरी दौर की सुनवाई शुरू होगी। ऐसे में अयोध्या को हाई अलर्ट पर रखा गया है और अयोध्या में धारा 144 लागू की गई है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम चरण की दलीलों के लिए कार्यक्रम निर्धारित करते हुए कहा था कि मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे और इसके बाद हिंदू पक्षकारों को 16 अक्टूबर तक दो दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद 17 नवंबर को फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। खास बात है कि इसी दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं।

14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले की सुनवाई करेगी। पीठ के सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं।

बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। पीठ ने इस मामले में कोर्ट की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को देने की मसले पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों की पैरोकारी को मानने से इनकार कर दिया है। पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने जारी एक बयान में कहा कि “बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर को को तोड़कर नहीं बनाई गई। लिहाजा, शरीयत कानून के हिसाब से यह जमीन न किसी और को ट्रांसफर की जा सकती है और न ही किसी के हाथों बेची जा सकती है। शरीयत कानून हमें इसकी इजाजत नहीं देता।”

इंडियन मुस्लिम फॉर पीस संस्था के बैनर तले लखनऊ में गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा था कि “अगर मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी जाता है तो उसे यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए।”

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को इस मामले में सुनाए गए अपने फैसले में विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। एक हिस्सा रामलला विराजमान को दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया था।

रामलला विराजमान को वही हिस्सा दिया गया था जहां वे अभी विराजमान हैं। इस फैसले को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर चुनौती दी है। दोनों ओर से क्रॉस अपीलें दाखिल हुई हैं। कुल 14 अपीलें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों को विचारार्थ स्वीकार करते हुए मामले में यथास्थिति कायम रखने काआदेश दिया था।

2010 से लंबित मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गत छह अगस्त से रोजाना नियमित सुनवाई शुरू की थी जो इस सप्ताह पूरी हो जाएगी। अभी तक 37 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने दशहरे की छुट्टियों से पहले कहा था कि मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर तक पूरी कर ली जाएगी।

हालांकि उसके भी पहले कोर्ट ने सुनवाई का शिड्यूल तय करते हुए कहा था कि सभी पक्ष अधिकतम 18 अक्टूबर तक अपनी बहस पूरी कर लें। मुख्य न्यायाधीश ने उस समय साफ किया था कि कोर्ट किसी भी हालत में 18 अक्टूबर के बाद सुनवाई नहीं करेगा।

अभी तक मामले में हिंदू पक्ष की अपीलों रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, गोपाल सिंह विशारद व अन्य पक्ष जैसे हिंदू महासभा, श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति आदि सभी छह अपीलकर्ताओं की ओर से बहस पूरी हो चुकी है और उनकी अपीलों पर मुस्लिम पक्ष का जवाब व हिंदू पक्ष का प्रतिउत्तर भी हो चुका है।

आजकल सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की अपील पर राजीव धवन बहस कर रहे हैं। कोर्ट द्वारा तय शिड्यूल के मुताबिक, धवन सोमवार को अपनी बहस पूरी कर लेंगे उसके बाद हिंदू पक्ष को सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील का जवाब देने के लिए मंगल और बुधवार का समय मिलेगा।

गुरुवार को अगर जरूरत हुई तो मुस्लिम पक्ष प्रतिउत्तर देगा नहीं तो उसके बाद मोल्डिंग आफ रिलीफ यानी अपील में जो मांग की गई है उसमें कोई बदलाव अगर कोई पक्ष चाहे या कुछ वैकल्पिक राहत की मांग करे तो उस पर सुनवाई होगी। इस तरह सुनवाई गुरुवार को पूरी हो जानी चाहिए लेकिन अगर कुछ बच गई तो शुक्रवार को हर हाल मे पूरी हो जाएगी।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com