Saturday - 13 January 2024 - 2:01 PM

महिलाओं को न आये दिक्कत इसलिए सरकार से की ये मांग

न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है।

इस दिवस का उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणाओं को दूर करना, महिलाओं और किशोरियों को माहवारी प्रबंधन संबंधी सही जानकारी देना है।

28 मई की तारीख निर्धारित करने के पीछे मकसद है कि मई वर्ष का पांचवां महीना होता है। यह अमूमन प्रत्येक 28 दिनों के पश्चात होने वाले स्त्री के पांच दिनों के मासिक चक्र का परिचायक है।

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लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से निशिचत रूप से देश व राज्य का हर तबका किसी न किसी रूप में परेशान हुआ है राज्य में संक्रमण को रोकने के लिए इस अवधि के दौरान कई आवश्यक सेवाओं को बंद कर दिया गया।

इस अप्रत्याशित लॉकडाउन के बाद मातृत्व स्वास्थ्य से जुडी कई आवश्यक सेवाओं जेसे टीकाकरण, VHND, परिवार नियोजन, गर्भ समापन (MTP कानून के तहत) आदि सेवाओं आदि को बंद होने की वजह से महिलाओं को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने कठिनाइयां उत्त्पन्न हुईं।

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हालांकि दूसरे चरण के लॉकडाउन के समय मातृत्व स्वास्थ्य से जुडी सेवाएं को शुरू किया गया, परन्तु अभी भी सुविधाएँ प्राप्त करने में बहुत सी अड़चनें आ रही है। जिसके लिए सहयोग संस्था द्वारा सरकार से कुछ जरुरी मांग की है जिससे आने वाले समय में महिलाओं को समय रहते उपचार मिल सके।

साथ ही महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उत्तर प्रदेश द्वारा प्राप्त आंकड़े के मुताबिक राज्य के 9 जिलों (बाराबंकी, हमीरपुर, जालौन, ललितपुर, आजमगढ़, चंदौली, कुशीनगर, अम्बेडकरनगर और मुज़फ्फरनगर) से प्राप्त 47 ग्राम पंचायत के आंकड़ों से पता चलता है कि यहाँ कुल 221 प्रसव लॉकडाउन अवधि के दौरान किए गए हैं।

जिसमें से 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को लॉकडाउन के दौरान परिवहन प्राप्त करने में कठिनाई हुई और वह सरकार द्वारा चलाई गई मुफ्त एम्बुलेंस सेवाओं का उपयोग करने में असमर्थ रहीं हैं और साथ ही प्रसव के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निजी परिवहन का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं।

इन महिलाओं के पास उप-केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव करवाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था जहां आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं थी और 2 प्रतिशत प्रसव अप्रशिक्षित दाई, पड़ोसियों और आशा के माध्यम से करवाए गए जो घर पर ही हुए।

इन परिस्थितियों में संक्रमण और अन्य जटिलताओं के जोखिम से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ मामलों में महिलाओं को कर्मचारियों की कमी के कारण निजी अस्पताल से उपचार देने से मना कर दिया गया। इन सेवाओं के समय से ना मिल पाने से विशेष रूप से हाशिए की महिलाएं और अधिक जोखिमपूर्ण स्तिथि में आ जाती  हैं।

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28 मई, जो की  महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो की महिलाओं यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की वकालत करता है जिसकों दुनिया भर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

आज इस दिवस के मौके के पूर्व संध्या पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न मंचों, संगठनों, नेटवर्क आदि की ओर से मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वस्थ्य व परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश, मिशन निदेशक NHM उत्तर प्रदेश, महानिदेशक परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश, महानिदेशक स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश को मेल के माध्यम से पत्र भेज कर मांगे की गई है।

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सरकार के सामने रखी ये मांगे

  • प्रजनन व मातृत्व स्वास्थ्य के अंतर्गत, प्रसवपूर्व, प्रसव सेवाये और प्रसवोत्तर देखभाल सेवाओं को सुचारू व नियमित रूप से उपकेन्द्र से लगाकर जिला अस्पताल स्तर तक क्रियाशील की जाए साथ ही VHND को क्रियान्वित कर वहां मिलने वाली सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाये।
  • गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जानकारी और सेवाएं, जिसमें आपातकालीन गर्भनिरोधक भी शामिल है को समुदाय के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाए साथ ही MTP कानून के तहत जानकारी और सेवाएं दी जाये तथा गर्भपात के बाद की देखभाल को सुनिश्तित किया जाये तथा समुदाय को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि वह सुरक्षित गर्भपात की सेवा किन-किन स्वास्थ्य सुविधाओं से प्राप्त कर सकते हैं जिसको लेकर IEC/ पेपर/ TV आदि के माध्यम से विज्ञापन भी दिए जाए।
  • 102 एम्बुलेंस को केवल प्रसव, प्रसव उपरांत देखभाल व आवश्यकता अनुसार महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात हेतु उपयोग किया जाये।
  • यह भी सुनिश्चित किया जाये कि आवश्यक प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता के लिए पर्याप्त धनराशि समय पर जिले व ब्लाक स्तर पर उपलब्ध होना सुनिश्चित करना जिससे की सेवाएं विशेष रूप से सामाजिक रूप से वंचित समूहों के लिए बाधित न हो।
  • सुनिश्चित करें कि प्रजनन स्वास्थ्य सुविधाएं आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान को संचालित करने और जारी रखने में सक्षम है तथा महिलाओं व लड़कियों को गुणवत्तापरक, सम्मानजनक स्वास्थ्य देखभाल मिले तथा किसी के साथ स्वास्थ्य सेवा में भेदभाव, जबरदस्ती या हिंसा न शामिल हो।
  • बेहतर स्वास्थ्य की जवाबदेही के लिए प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी, ऑनलाइन या टोल फ्री के माध्यम से शिकायत हेतु प्लेटफोर्म तैयार करना व और समय पर समाधान करना तथा स्वास्थ्य प्रणाली की निगरानी के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुए बढ़ावा देना व शिकायत निवारण व्यवस्था को क्रियाशील व आम लोगों की पहुच योग्य बनाना।
  • स्क्रीनिंग, परामर्श और फालोअप के लिए टेलीहेल्थ और वर्चुअल या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों के उपयोग के माध्यम से आवश्यक प्रजनन स्वास्थ्य जानकारी और सेवाओं (मानसिक स्वास्थ्य पहलू सहित) के प्रावधान पर वैकल्पिक दृष्टिकोण को देखना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र को विनियमित करते हुए कीमतों को मानकीकृत किया जाय व सामान्य व तात्कालिक स्वास्थ्य सेवा देंने के लिए निर्देशित किया जाये।

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