स्पेशल डेस्क
कोरोना काल में बहुत कुछ बदल रहा है। ऐसे में सूबे की राजनीति में बड़ा बदलाव भी देखने को मिल सकता है। दअरसल कांग्रेस अब पहले से ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। कोरोना काल में प्रियंका गांधी यूपी में सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है। इस वजह से योगी सरकार की भी नींद उड़ गई।
वहीं सपा भी कोरोना काल में अपने कुनबे को मजबूत करने में लगी हुई है। दरअसल मुलायम की पार्टी सपा एक बार फिर मजबूत हो सकती है। इसके पीछे का कारण शिवपाल यादव को बताया जा रहा है। हालांकि शिवपाल यादव अभी सपा में नहीं है लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रम से लग रहा है कि शिवपाल यादव सपा में एक बार फिर इंट्री कर सकते हैं।
2018 में शिवपाल यादव ने आंतरिक या पारिवारिक कलह के चलते अपने भतीजे अखिलेश से किनारा कर लिया था और नई पार्टी बनाकर उनको चुनौती दे डाली थी। हालांकि इसके बाद से ही सपा को चुनावी दंगल में हार का मुंह देखना पड़ा है।
दूसरी ओर शिवपाल यादव को कोई खास फायदा नहीं हुआ है। ऐसे में कहा जा रहा है कि शिवपाल यादव को भी सपा से अलग होने से फायदे के बजाये नुकसान हुआ है। शिवपाल का राजनीति भविष्य भी खतरे में पड़ता दिख रहा है। हालांकि यह बात भी सत्य है कि प्रसपा और सपा दोनों की विचारधारा एक है। ऐसे में कोई बड़ा उलटफेर हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं हैं।

इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब सपा के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने गुरुवार को शिवपाल की सदस्यता समाप्त करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया था। हालांकि, कोरोना संकट के दौर में चाचा-भतीजा की बीच कई मुलाकातें हो चुकी हैं। ऐसे में एक बार फिर सियासी चर्चा गरम है कि क्या शिवपाल यादव की सपा में घर वापसी होगी या नहीं?
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उधर शिवपाल यादव ने अपने भतीजे अखिलेश के खिलाफ अब कोई बयान नहीं दे रहे हैं। हालांकि सपा में इंट्री को लेकर उन्होंने कई मौकों पर चुप्पी जरूर तोड़ी है। अभी तक शिवपाल यादव केवल सपा से गठबंधन की बात करते थे और कह रहे थे कि सपा के साथ प्रसपा आगामी चुनाव में गठबंधन कर सकती है लेकिन अब उनके सुर बदल गए है।
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लोहिया ट्रस्ट के भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को दिया था, जिसके बाद शिवपाल यादव ने कहा कि अगर कद के हिसाब से उन्हें पार्टी में पद मिलता है, तो सभी दरवाजे खुले हैं। इसके बाद से सबके जहन में एक ही सवाल है क्या शिवपाल यादव दोबारा साइकिल की सवारी करेंगे। अगर ऐसा होता है अखिलेश की साइकिल एक बार फिर चुनावी दंगल में तेज दौड़ सकती है।
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