Sunday - 21 January 2024 - 6:50 PM

सियासत की प्रयोगशाला क्यों बना योगी का गढ़

मल्लिका दूबे

गोरखपुर। जिस संसदीय क्षेत्र से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार सांसद चुने गये थे, उनके देश की संसद से राज्य के सदन में पहुंचने के साथ ही वह क्षेत्र सियासत की प्रयोगशाला बन रहा है। उप चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी का नया प्रयोग सफल हुआ तो इस बार सपा से सीट छीनने को भाजपा प्रत्याशी चयन में नए समीकरणों का प्रयोग कर रही है।

उसके प्रयोग को विफल करने के लिए कांग्रेस भी इस सियासी लैब में वेट एंड वाच की पोजीशन में है। इस बीच सपा-बसपा गठबंधन के समीकरणों में सेंध लगाने को शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने भी नया पालिटिकल कंपोनेंट खोज लिया है। योगी के गढ़ में खुद योगी के चुनाव न लड़ने की स्थिति में किसका प्रयोग कितना सफल होगा, यह देखना मजेदार होगा।

उप चुनाव में सपा ने किया था नया प्रयोग

योगी आदित्यनाथ के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद गोरखपुर लोकसभा के उप चुनाव में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ने का नया प्रयोग किया था। सपा ने इस बेल्ट में तेजी से उभरी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद से उनका बेटा प्रवीण निषाद प्रत्याशी के रूप में उतार लिया।

परंपरागत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बसपा से समर्थन लिया। इन दोनों प्रयोगों के सम्मिलित योग से उसे योगी के गढ़ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। इस चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन ने पहले प्रवीण निषाद को ही प्रत्याशी बनाने का मन बनाया था लेकिन सांसद के पिता संजय निषाद के राजनीतिक दल निषाद पार्टी से अनबन हो गयी।

ऐसे में सपा ने पूर्व मंत्री और पिछला लोकसभा चुनाव बसपा के सिम्बल पर लड़े रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है। मंशा निषादों की बहुलता वाले इस संसदीय क्षेत्र में उप चुनाव का परिणाम दोहराने की है।

नए सियासी माहौल में भाजपा का नया समीकरणीय प्रयोग

बृहस्पतिवार से ही भाजपा खेमे में यह चर्चा तेज हो गयी है कि दावेदारों के तमाम नामों को दरकिनार कर पार्टी योगी की रजामंदी पर पिपराइच के विधायक महेंद्रपाल सिंह को टिकट देने जा रही है। अब अगर यह चर्चा सही है तो, भाजपा समीकरणों का नया प्रयोग करने जा रही है।

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में सैंथवार बिरादरी के वोटर निषादों के बाद दूसरे नंबर पर हैं। महेंद्रपाल सिंह इसी बिरादरी से आते हैं। ऐसे में भाजपा इस बिरादरी के वोटों को परिणाम का बेस बनाना चाहती है। महेंद्रपाल सिंह के संसदीय प्रत्याशी होने पर सपा छोड़ भाजपा में आए पूर्व मंत्री जमुना निषाद के बेटे अमरेंद्र निषाद को पिपराइच में उप चुनाव होने की दशा में वहां एडजस्ट करने की उम्मीद है।

ऐसा करके पार्टी अमरेंद्र के जरिए निषाद वोट बैंक में सेंधमारी की भी कोशिश करेगी। निषाद वोट बैंक का एक हिस्सा अपने पाले में करने के लिए भाजपा को निषाद पार्टी का भी आसरा है। भाजपा का यह प्रयोग भी चुनाव के पैमाने पर होगा।

सबको देखकर पत्ते खोलेगी कांग्रेस

इस सियासी प्रयोगशाला में अपना फार्मूला कांग्रेस ने अभी दफ्तर बंद कर रखा है। कांग्रेस 1989 से ही इस संसदीय क्षेत्र में मुख्य लड़ाई से बाहर है लेकिन राहुल-प्रियंका की जोड़ी से वह खुद को मजबूत करने की पुरजोर कोशिश में है।

माना जा रहा है कि यहां भाजपा का प्रत्याशी सामने आने के बाद भी ही कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर अपने पत्ते खोलेगी। नए समीकरणों को देखते हुए गोरखपुर में कांग्रेस खेमे से ब्रााह्मण प्रत्याशी को लेकर ही अटकलें नंबर एक के पायदान पर हैं।

गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में प्रसपा

भतीजे अखिलेश यादव से रूठकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव यहां यादव प्रत्याशी देकर गठबंधन के वोटबैंक में सेंधमारी की फिराक में हैं। प्रसपा ने यहां से श्याम नारायण यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। उन्हें उम्मीद है कि यादव बिरादरी के वोट के साथ डा. अय्यूब अहमद की पीस पार्टी के गठबंधन के बूते उन्हें पिछड़े मुस्लिमों का भी मत मिल जाएगा।

अब उनकी उम्मीद कुछ कामयाब हुई तो मुकाबला और दिलचस्प हो जाएगा। वैसे श्याम नारायण यादव और गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल एक ही क्षेत्र के हैं और दोनों के बीच सियासी प्रतिद्वंद्विता भी पुरानी है।

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