प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. कानपुर के चौबेपुर में गैंगस्टर विकास दुबे ने खाकी वर्दी के साथ जो खून की होली खेली है उसके बाद से जहाँ एक तरफ इस आपराधिक घटना को लेकर आम लोगों से लेकर पुलिसकर्मियों तक में गुस्से और दुःख की लहर है तो दूसरी तरफ सरकार पर भी इसे लेकर काफी दबाव है. यही वजह है कि घटना के बाद सरकार ने विकास दुबे पर 50 हज़ार का इनाम घोषित किया था जो सिफ 72 घंटे में बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गया है.
इस मामले को लेकर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने सूबे के पुलिस महानिदेशक हितेश चन्द्र अवस्थी को पत्र लिखकर कानपुर नगर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव पर कार्रवाई किये जाने की मांग की है.

अमिताभ ने शहीद सीओ बिल्हौर देवेन्द्र मिश्र द्वारा एसएसपी कानपुर नगर को भेजे गए एक पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि इस पत्र में स्वर्गीय देवेन्द्र मिश्र ने अनंत देव को साफ तौर पर बताया था कि पूर्व थानाध्यक्ष चौबेपुर विनय तिवारी का विकास दूबे के पास आना जाना व बातचीत करना बना हुआ है. इस पत्र में देवेन्द्र मिश्र ने बताया कि बीती 13 मार्च 2020 को थाना चौबेपुर में अभियुक्त विकास दूबे व अन्य के खिलाफ धारा 386, 147, 148, 323, 504, 506 आईपीसी में दर्ज मुकदमा संख्या 65- 2020 के विवेचक अजहर इशरत ने धारा 386 आईपीसी को कुछ बेबुनियाद आधारों पर हटा दिया था.

इस सम्बन्ध में सीओ देवेन्द्र मिश्र ने पूछताछ की तो विवेचक ने बताया कि उन्होंने विनय तिवारी के कहने पर ऐसा किया था. देवेन्द्र दूबे ने तत्कालीन एसएसपी कानपुर नगर को इस पर कार्रवाई करने की संस्तुति की थी. लेकिन इस स्पष्ट पत्र के बाद भी अनंत देव द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि सीओ ने लिखित कार्रवाई की बात की इसके बाद भी एसएसपी का कुछ न करना घोर प्रशासनिक कदाचार है और वह भी इस जघन्य घटना के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं. उन्होंने डीजीपी से इस पत्र में अंकित तथ्यों की जांच कराते हुए समुचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
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जुबिली पोस्ट ने भी आज तत्कालीन एसएसपी की लापरवाही का मुद्दा अपने लाइव कार्यक्रम में उठाया था. अनंतदेव के खिलाफ जांच के आदेश आज दे दिए गए हैं. अनंतदेव के विकास दुबे के साथ कनेक्शन की जांच की जायेगी. जांच का ज़िम्मा एडीजी कानपुर जेएन सिंह को सौंपा गया है.
आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इससे पहले भी गत 3 जुलाई को ट्वीट के जरिए कहा था कि करीब एक माह पहले पुलिस महानिदेशक ने एक सर्कुलर जारी करके पुलिसकर्मियों पर आपराधिक तत्वों द्वारा लगातार हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त कर सीनियर अफसरों के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया था और उन्हें रोकने के कई निर्देश दिए थे. अगर इन निर्देशों का पालन कराया गया होता तो शायद कानपुर मुठभेड़ में 08 पुलिसकर्मियों के शहीद होने जैसी घटना नहीं होती.
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