Friday - 5 January 2024 - 5:07 PM

कट्टरपंथियों के निशाने पर क्यों हैं ये खूबसूरत महिला

न्यूज डेस्क

बदलाव की एक अलग ही बयार होती है। उसमें शीतलता नहीं बल्कि गर्माहट होती है, जिसमें झुलसने का डर होता है। उसमें आंधी जैसा भाव होता है जो सब कुछ उड़ा लेने को आतुर होता है और जब आंधी थमती है तो फिर सबकुछ नये सिरे से बसाया जाता है। ऐसा ही कुछ बयार सऊदी अरब में बह रही है। यह बयार बदलाव की है और इस बयार से कट्टरपंथी असहज महसूस कर रहे हैं।

सउदी अरब में इन दिनों इस्लाम की पहचान अबाया को लेकर कुछ महिलाए विरोध में उतर आई हैं। ये बिना अबाया के शॉपिंग मॉल से लेकर अन्य पब्लिक स्पॉट पर दिख जाती है। इन दिनों मशेल अल जालोद चर्चा में हैं। इसका कारण उनकी वेस्टर्न स्टाइल की टाइट ओरेंज टॉप और ट्रॉजर तो है ही, इसके अलावा इस्लाम की पहचान अबाया का न पहनना है। रियाद मशेल के आउटफिट को देखकर पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी हैरान हैं।

पेशे से ह्यूमन रिसोर्स स्पेशलिस्ट मशेल ने भविष्य में लिए जाने वाले संभावित फैसले को अभी से अपने पर लागू कर दिया है। 33 वर्षीय मशेल अबाया समेत ऐसे कपड़ों के सख्त खिलाफ हैं जो उन्हें मनचाहा जीवन जीने में बाधा बनते हैं। फिलहाल इसकी वजह से कट्टरपंथियों की भौहें चढ़ गई हैं।

मशेल सऊदी महिला की नई पहचान बन रही हैं। वेस्टर्न आउटफिट पहनन कर जब वह शॉपिंग मॉल जाती हैं और जब वह मॉल से बाहर निकलती है तो हर किसी का ध्यान उन्हीं पर होता है। एक महिला ने उन्हें रोककर यहां तक पूछ लिया कि क्या वह मॉडल हैं। इस पर उनका जवाब था कि वह मॉडल नहीं बल्कि एक आम सऊदी महिला हैं जो अपनी इच्छा से जीना चाहती हैं।

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सऊदी के उन दकियानूसी  नियमों के खिलाफ मशेल जमकर भड़ास भी निकालती हैं। वह कहती हैं कि सऊदी में निकी मिनाज को सिर-आंखों पर बिठाया जाता है जो अपनी बीकनी इमेज के लिए और अपने अंग प्रदर्शनों के लिए जानी जाती है। वहीं उन्हें जबर्दस्ती अबाया पहनकर पूरी तरह से कवर होकर रहने के लिए मजबूर किया जाता है।

मशेल अल जालोद ने कुछ माह पहले ही अबाया पहनना छोड़ा है। सऊदी महिलाओं को नई पहचान देने वालों में मशेल अकेले नहीं हैं बल्कि कुछ और भी इसमें शामिल हैं। मनहेल अल ओटेबी इन्हीं में से एक हैं। वह बीते चार माह से बिना अबाया के सऊदी की सड़कों पर घूम रही हैं। उनका भी कहना है कि वह खुलकर जीना चाहती हैं। वह ऐसा जीवन चाहती हैं जिसमें बंदिशें न हों। उनका कहना है उन्हें जबरदस्ती कोई भी कुछ पहनने के लिए राजी नहीं कर सकता है।

गौरतलब है कि अबाया सैकड़ों वर्षों से मुस्लिम महिलाओं की पहचान रहा है। यदि हम सऊदी अरब की बात करें तो वहां पर रह रही गैर मुस्लिम महिलाओं के लिए भी यह पहनना जरूरी है। वर्तमान में भी इसको लेकर यहां पर सख्त कानून है।

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मशेल के अनुसार जुलाई में एक मॉल में नियमों की ही वजह से उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया था। इसे लेकर उन्होंने एक वीडियो भी ट्वीट किया था। इतना ही नहीं उन्होंने मॉल के गेट पर खड़े गार्ड को वह वीडियो भी दिखाया जिसमें क्राउन प्रिंस ने कहा था कि महिलाओं को सभ्य कपड़े पहनने की इजाजत है। इसमें अबाया का पहनना जरूरी नहीं है।

इसके जवाब में शॉपिंग मॉल की तरफ से ट्वीट कर कहा गया है वह उन्हें एंट्री की इजाजत नहीं दे सकते हैं। इतना ही नहीं सऊदी के राजपरिवार ने भी एक ट्वीट कर मशेल की निंदा की थी। मशेल को इसी तरह से एक रियाद की सुपर मार्केट में भी एंट्री करने से रोक दिया गया था। इतना ही नहीं यहां पर उन्हें पुलिस के हवाले करने तक की धमकी दी गई थी।

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बीते कुछ वर्षों में सऊदी अरब में महिलाओं को लेकर कई तरह के बदलाव देखने को आए हैं। वहां की महिलाओं को चुनाव में खड़े होने, वोट डालने, खेल देखने, गाड़ी चलाने और अकेले सड़क पर निकलने और अकेले विदेश जाने की इजाजत दी गई है। इन सभी बदलावों के पीछे सऊदी के प्रिंस क्राउन मोहम्मद बिन सलमान हैं।

बताते चले कि बीते साल ही प्रिंस सलमान ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात के इस बात के संकेत दिए थे कि महिलाओं के ड्रेस कोड में कुछ रियायत दी जाएगी। इसके मुताबिक महिलाओं को पूरा शरीर ढकने वाले लिबास अबाया को पहनना जरूरी नहीं रह जाएगा।

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