Sunday - 7 January 2024 - 8:06 AM

कौन थे साधु वासवानी? जिनकी वजह से योगी ने उठाया है बड़ा कदम

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने साधु टीएल वासवानी की जयंती के मौके पर बड़ा कदम उठाया है और 25 नवंबर को ‘नो नॉन-वेज डे’ का एलान किया है।

इस वजह से राज्य भर में सभी मांस की दुकानें और बूचडख़ाने पूरी तरह से बंद रहेंगे। सरकार की विज्ञाप्ति में आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी गई है।

कौन थे साधु वासवानी?

अब सवाल है आखिर कौन थे साधु टीएल वासवानी जिनकी वजह से योगी ने इतना बड़ा कदम उठाया है। साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी एक भारतीय शिक्षाविद् थे, जिन्होंने शिक्षा में मीरा आंदोलन की शुरुआत की।

उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सेंट मीरा स्कूल की स्थापना की थी। ये हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) में थे लेकिन भारत से अलग होने के बाद जब पाकिस्तान बना तो साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी पुणे आकर बस गए। उनके जीवन और शिक्षण को को लेकर साल 2011 में पुणे में दर्शन संग्रहालय खोला गया था।

साधु वासवानी हैदराबाद सिंध (पाकिस्तान) में पैदा हुए थे। उन्होंने दसवीं यानी मैट्रिक पास की और फिर 1899 में बम्बई विश्वविद्यालय से बी.ए. पास किया।

उन्होंने 1902 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री भी हासिल की और इसके बाद उन्होंने अपनी मां से अपना जीवन भगवान और मनुष्य की सेवा में समर्पित करने की अनुमति मांगी।

उनकी मां चाहती थीं कि उनका पुत्र जिदंगी में कामयाब हो और इस वजह से वासवानी अपने अल्मा मेटर, यूनियन अकादमी में शिक्षण कार्य करने के लिए तैयार हो गए।

उनकी मां ने उनकी शादी करना चाहती थी लेकिन वासवानी ने ब्रह्मचारी बने रहने और कभी शादी नहीं करने की कसम खाई। इसके बाद वो कोलकाता चले गए और फिर वहां की मेट्रोपॉलिटन कॉलेज में इतिहास और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में सेवाए देने लगे। यहीं पर उनकी मुलाकात प्रोमोथोलाल सेन जिसे वो अपना गुरु मानते थे, जिन्हें नालुदा कहा जाता था।

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