Sunday - 14 January 2024 - 2:34 PM

बड़े अदब से : वी लव पुलिस

पिछले दिनों लाॅक डाउन में हमारी पुलिस का नया परोपकारी, जन सेवक रूप सामने आया है। वो हर तरह की सेवा में निःस्वार्थ तत्पर रहे। यह बात मैं गीता पर हाथ रखकर स्वीकार कर सकता हूँ कि मैं और मेरा परिवार तब से पुलिस का दीवाना है। वी लव पुलिस।

उस समय से हम लोग पुलिस को खुदा से कम नहीं मान रहे हैं। लेकिन लोग हैं कि पुलिस को देखकर जान छोड़कर भागते हैं।

उनके साथ गाड़ी में सफर करने से हिचकिचाते हैं। हाथ जोड़ते हैं। रोने चीखने लगते हैं। दे आर पुअर फैलो। दरअसल वे पुलिस की बैड पब्लिसिटी के शिकार हैं। एक्सीडेंटस कहां नहीं होते? खैर। मुझे हिन्दी अखबारों के कम पढ़े लिखे क्राइम रिपोर्टरों पर क्रोध आता है।

लिख मारेंगे पुलिस की नाक के नीचे रह रहा था आतंकवादी और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। अरे भइया, आतंकवादी कोई मच्छर है जो नाक के न नीचे बिस्तर लगाये था। वाह भाई पुलिस की नाक न हो गयी सरताजमहल होटल हो गया।

पता नहीं न चले कि कब कौन आया, ठहरा और दबे पांव निकल गया। ध्यान से देखिए तो पुलिस की नाक के नीचे रेश्मी घनी मूंछें हैं जिन्होंने गाल का काफी हिस्सा घेर रखा है। सजा-संवरी ,शैम्पू से पगीं।

दिनभर में हम जितनी बार सांस नहीं लेते उतनी बार वे उस पर हाथ फेरकर क्रीज में करते हैं। पुलिस को लेकर कुछ विघ्नसंतोषियों ने मुहावरे गढ़ लिये हैं। यथा पुलिस के हाथ बहुत लम्बे होते हैं।

क्यों जी थाने में लेटे-लेटे आपकी पाकेट से बटुआ निकाल लिया क्या? चौराहे पर ड्यूटी के वक्त आपकी कार की स्टेपनी तो नहीं खोल ली? हाथ इतने ही लम्बे होते तो बास्केटबाल टीम में पुलिस का कब्जा होता।

यह मुहावरा भी बड़ा अजीब है- कानून और पुलिस की निगाह से कोई बच नहीं सकता। भाईजी, निगाह न हो गयी सेटेलाइट में जड़ा कैमरा हो गया। क्या चाहते हैं पुलिस आंख मूंद ले और आप बेडरूम में ताक-झांक शुरू कर दें। नुक्कड़ की पान की दुकान पर गुटखा चबाते हुए चीन और कोरोना को लानत मलानत भेज सकें। चाहते सभी हैं उनकी आंखें मुंदी रहें।

अक्सर पढ़ने को मिलता है कि पुलिस वर्दी हुई दागदार। अरे भाई, कपड़ा धुलाई भत्ता जितना मिलता है उतने में तो बर्तन धोने का पाउडर तक नहीं मिलता। दाग तो दिखायी देंगे।

गटर से लाश निकालने से लेकर नाले में पड़ा तमंचा तक ढूंढने का काम पुलिस को करना पड़ता है। कहते हैं पुलिस अपराधी को सूंघकर ढूंढ निकालती है। फिर गलत बात। अगर ऐसा होता तो डॉग स्क्वायड क्या दूध देने के लिए रखे गये हैं।

आप सोच रहे होंगे कि पुलिस के इस नख शिख वर्णन में उसकी अग्रगामी प्यारी सी तोंद कोई चर्चा नहीं हुई। बताते चलें कि पुलिस का हाजमा गजब का है उसे कोई पेट का रोग नहीं है। ये उभार फैट जमने से नहीं हुआ है बल्कि रईसजादों, खद्दरधारियों और नौकरशाहों और उनके बिगड़ैल साहबजादों के कारनामों की लाशें वहां दफ्न हैं।

बताते चलें किदश से कोरोना ऐसे ही भागा है। वो तो इनके डंडे से आवारा ‘घसियारों’ की तशरीफ से कोरोना झाड़ने से हुआ है। आज जो पुलिस का रहनुमाई किरदार है उसके लिए एक सैल्यूट तो बनता है।

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com