Thursday - 11 January 2024 - 8:23 PM

दो माह बाद भी म्यांमार में नहीं थमा खूनी संषर्घ

जुबिली न्यूज डेस्क

म्यांमार में पिछले दो माह से राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को दो महीने बीत चुके हैं और वहां हिंसा का दौर अब भी जारी है।

लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों की आवाज दबाने के लिए सेना बल का प्रयोग कर रही है। अब तक वहां 500 से ज्यादा लोकतंत्र बहाली समर्थक सेना और सुरक्षाबलों की गोलियों से मारे जा चुके हैं।

गुरुवार को म्यांमार के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने चिंता व्यक्त करते हुए म्यांमार में सैकड़ों नागरिकों की मौत और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की।

सुरक्षा परिषद ने म्यांमार की “बिगड़ती स्थिति” पर चिंता व्यक्त की है। हालांकि, चीन ने अपने निंदा प्रस्ताव में कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने से परहेज किया है।

अपने बयान में सुरक्षा परिषद ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल के इस्तेमाल और महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोगों की हत्या की निंदा करते हैं।”

बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन सेव द चिल्ड्रेन के अनुसार म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से अब तक 43 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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वहां तख्तापलट के खिलाफ और देश में लोकतंत्र की बहाली को लेकर आम नागरिक, छात्र, शिक्षक और अधिकार कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा आरोप है कि कई बार सेना उन पर सीधी फायरिंग करती है।

प्रदर्शन पर सेना की क्रूर कार्रवाई

एक फरवरी को म्यांमार में सेना ने तख्तापलट किया और देश की नेता आंग सान सू को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से म्यांमार की सैन्य टुकड़ी को हर दिन सार्वजनिक रूप से आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।

म्यांमार के सैन्य अभियान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी निंदा की है, लेकिन म्यांमार में स्थिरता के महत्व पर जोर देते हुए चीन बहुत सतर्क बना हुआ है।

बुधवार को सुरक्षा परिषद के एक बंद दरवाजे की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने म्यांमार को चेतावनी दी कि देश में भीषण गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है।

बर्गनर ने कहा, “अगर हम उनसे बातचीत के लिए सहमत होने की प्रतीक्षा करते हैं, तो न केवल जमीन पर स्थिति बिगड़ जाएगी, बल्कि रक्तपात का खतरा भी है।”

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साल 2020 के नवंबर में हुए चुनाव को लेकर म्यांमार की सेना संतुष्ट नहीं थी और वह चुनाव में धोखाधड़ी का मुद्दा उठा रही थी। हालांकि म्यांमार के राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने सेना की ओर से लगाए गए चुनावों में धोखाधड़ी होने के आरोपों से इनकार कर दिया था। सू ची की पार्टी ने चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी।

सेना की कार्रवाई के बाद से यूरोपीय संघ और अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। पिछले दिनों यूरोपीय संघ ने म्यांमार में हुए तख्तापलट में शामिल 11 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था तो वहीं अमेरिका ने म्यांमार के साथ एक अहम व्यापार समझौते पर रोक लगाई थी।

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