जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान व्यापारिक दबाव के जरिए रोका था। यह बयान उन्होंने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में NATO महासचिव मार्क रूटे के साथ बैठक के दौरान दिया।
ट्रंप का बयान: “हमने परमाणु युद्ध रोका”
ट्रंप ने कहा:“हमने कई युद्धों के बीच समाधान निकालने में सफलता पाई है। आपके पास भारत और पाकिस्तान का उदाहरण है, जो उस दिशा में बढ़ रहे थे, जहां अगले एक हफ्ते में परमाणु युद्ध हो सकता था। लेकिन हमने व्यापार का इस्तेमाल करके हालात संभाले।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि:“मैंने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक भारत और पाकिस्तान आपसी विवाद नहीं सुलझाते, तब तक अमेरिका व्यापार पर बात नहीं करेगा। इसके बाद ही स्थिति शांत हुई।”
यह नया नहीं, ट्रंप पहले भी दे चुके हैं ऐसा बयान
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10 मई को भी ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता से भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हुए।
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उन्होंने बार-बार दोहराया है कि उन्होंने ही दोनों देशों के बीच तनाव घटाया और “परमाणु युद्ध” को टाल दिया।
भारत ने पहले ही नकारा यह दावा
भारत सरकार ने ट्रंप के इन बयानों को पहले ही “बेबुनियाद और भ्रामक” करार दिया है।
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विदेश मंत्रालय ने साफ कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की सहमति दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर की सीधी बातचीत के जरिये हुई थी।
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भारत ने यह भी दोहराया कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता, और भारत-पाक मुद्दे द्विपक्षीय हैं, जिनमें अमेरिका सहित कोई भी बाहरी देश हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
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रक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान आंतरिक राजनीति और चुनावी लाभ के नजरिए से दिया गया है।
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उनके मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ताओं में अमेरिका की भूमिका लगभग नाममात्र या शून्य रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
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पाकिस्तान की तरफ से ट्रंप के बयान पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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लेकिन भारत की तरफ से पहले दिए गए खंडन को देखते हुए यह साफ है कि यह मुद्दा फिर से कूटनीतिक बयानबाज़ी का कारण बन सकता है।
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डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने पुराने दावे पर कायम हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध की कगार से वापस खींचा था। जबकि भारत का रुख स्पष्ट है — सीमा पर शांति और बातचीत का रास्ता भारत और पाकिस्तान के बीच है, किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं।