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जिस ‘कहानी’ के खुद कभी सूत्रधार थे आज उन्हीं पर खत्म हुई ‘कहानी’

प्रीति सिंह

समय कैसे बदलता है इसका एक बानगी देखिए-

25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने गृहमंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गिरफ्तार किया था। तब भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि कांग्रेस ये जो कुछ भी कर रही है वो एक बड़े राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है जिसका एकमात्र उद्देश्य आम जनता के सामने नरेंद्र मोदी, अमित शाह के अलावा पार्टी की छवि धूमिल करना है।

21 अगस्त 2019 को सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम को गिरफ्तार किया। इस मामले में कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा द्वारा कांग्रेस की छवि धूमिल करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। साथ ही चिदंबरम पर ये कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है।

ये दोनों बयान लगभग एक जैसा है। 9 साल पहले जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी तब भाजपा ने यह बयान दिया और आज जब सत्ता में भाजपा है तो कांग्रेस ने यह बयान दिया। चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।

जिस तत्परता से सीबीआई और ईडी ने काम किया और कांग्रेस नेता को गिरफ्तार किया, वैसी तत्परता विजय माल्या और नीरव मोदी के मामले में सीबीआई नहीं दिखाई। जाहिर है सवाल उठ रहे है तो कुछ तो मामला है। ऐसे ही नहीं कहा जाता कि-बिना आग के धुंआ नहीं उठता।

दरअसल आज जो हम देख रहे हैं वह कहानी का समापन है। यह सम्पूर्ण चक्र कोई 13 साल पहले से चल रहा है जो चिदंबरम की गिरफ्तारी पर आकर रूका है। जिस कहानी के चिदंबरम कभी सूत्रधार थे आज उस का अंत भी उन्हीं पर हुआ।

13 साल पहले लिखी गई थी भूमिका

इस मामले में आगे क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन भूतकाल में क्या हुआ था ये तो लोगों को मालूूम ही है।  चिदंबरम के साथ जो हो रहा है उसकी भूमिका आज से 13 साल पहले 2008 में उस वक्त लिखी गई थी जब चिदंबरम गृह मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री थे।

26 नवंबर 2005 में गुजरात में हुए सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में सारी गाज तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में शुमार अमित शाह पर गिरी। जांच सीबीआई के पास आई। चूंकि केंद्र में कांग्रेस थी इसलिए सीबीआई पर दबाव बनाया गया की सख्त जांच हो।

चूंकि चिदंबरम सत्ता में थे और उनके हाथ में पावर था, इसलिए उन्होंने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की की किसी भी सूरत में अमित शाह को बख्शा न जाए। जांच का परिणाम ये निकला कि 25 जुलाई 2010 को सीबीआई द्वारा अमित शाह को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 3 महीनों तक अहमदाबाद कि साबरमती जेल में रहना पड़ा।

29 अक्टूबर 2010 को अमित शाह को बेल हुई। इसके बाद 30 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी हाल में अमित शाह गुजरात छोड़ दें। अब इस पूरी प्रक्रिया का अवलोकन किया जाए तो जांच एजेंसी और कोर्ट तक पर दबाव बनाया गया था और इसमें पी चिदंबरम का एक बड़ा हाथ था।

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भाजपा ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी की छवि धूमिल करने के लिए राजनैतिक द्वेष की भावना से ये कार्रवाई की गई है। मालूम हो पूर्व में कई ऐसे मौके आए हैं साथ ही ये सुबूत भी मिले हैं कि कैसे अपने मनमाने रवैये से चिदंबरम पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित करते थे।

किस मामले में फंसे चिदंबरम

जनवरी 2008 में, वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND)  ने आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को मॉरीशस-आधारित तीन कंपनियों द्वारा 305 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हरी झंडी दिखाई, जिसमें पीटर और इंद्राणी मुखर्जी का स्वामित्व था।

मुंबई में आयकर विभाग ने ये केस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपा था। 2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के तहत INX  मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज किया। इसमें चिदंबरम की प्रत्यक्ष भूमिका थी।

मोदी सरकार की चिदंबरम पर कार्रवाई

एक बार फिर समय का चक्र घूमा और वहीं आकर रुका है जहां से इस राजनीतिक युद्ध की शुरुआत हुई थी। कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम अपने जीवन की सबसे बड़ी राजनीतिक साजिश के शिकार हुए। उन्हें अंदाजा नहीं था कि समय कभी करवट भी बदलेगा।

INX मीडिया केस में चिदंबरम पर शिकंजा कस गया और वह सीबीआई की गिरफ्त में आ गए। 13 साल पहले जिस भूमिका में बीजेपी थी आज उसी भूमिका में कांग्रेस आ गई है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि जो कुछ भी हो रहा है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारों पर हो रहा है और कांग्रेस के साथ राजनीतिक दुश्मनी निकाली जा रही है।

फिलहाल 13 साल पहले जिस कहानी की शुरुआत हुई थी अब उसका अंत होता दिख रहा है। इससे साफ हो गया कि जिस कहानी के वे कभी सूत्रधार थे आज वो कहानी उन पर समाप्त होने वाली है। यह तय है कि इस कहानी का अंत कहीं से भी सुखद नहीं होने वाला है। ये भी हो सकता है कि कल को चिदंबरम बाइज्जत छूट भी जाए तो भी ये कहानी न सिर्फ उनको बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी को बरसों तक डराएगी।

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