Saturday - 6 January 2024 - 11:23 PM

तीरथ सिंह रावत के अजीबोगरीब बयान बढ़ाएंगे BJP की मुश्किलें

कृष्णमोहन झा 

लगभग एक सप्ताह पूर्व उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद की बागडोर तीरथ सिंह रावत को सिर्फ इसलिए सौंपी गई थी कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने पिछले चार साल के कार्यकाल में लगातार विवादों में घिरते रहे जिनके कारण भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह चिंता सताने लगी थी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते पार्टी एक साल बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में सत्ता की दहलीज तक पहुंचने में चूक सकती है।

केंद्रीय नेतृत्व ने उनके विकल्प के तौर पर बहुत से नामों पर गंभीरता से विचार किया और अंततः गढ़वाल से पार्टी सांसद तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लगा दी और आनन फानन में उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुनने की रस्म अदायगी कर मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिला दी गई।

इसके साथ ही पार्टी ने यह मान लिया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की बागडोर तीरथ सिंह रावत को सौंपने का उसका यह फैसला राज्य के अगले विधानसभा चुनावों में उसे बहुमत हासिल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

लेकिन बहुत सोच समझ कर किए गए अपने इस फैसले पर पार्टी को जिस सुकून की अनुभूति हो रही थी वह सुकून नए मुख्यमंत्री के विवादास्पद बयानों के कारण अब चिंता में बदलने लगा है।

यह भी पढ़ें : ‘ 2 बच्चे पैदा किए इसलिए कम राशन मिला, 20 करते तो ज्यादा मिलता’

यह भी पढ़ें : तो कुछ इस तरह से सोशल मीडिया पर वापसी करने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप

दिक्कत यह है कि अगर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के एकाध बयान से विवाद उत्पन्न हुआ होता तो वह नुकसान की भरपाई के कारगर उपाय खोजने में सफल भी हो सकती थी परंतु उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तो रोज ही ऐसे बयान दे रहे हैं जिनके कारण पैदा होने वाले बयानों का दायरा राज्य की सीमा तक सिमट कर नहीं रह सकता।

भाजपा के लिए गंभीर चिंता की बात यह है कि इस समय देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया प्रगति पर है जिनमें पश्चिम बंगाल में उसने सत्ता हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

उधर तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री पद पाने से उपजी खुशी के अतिरेक में एक के बाद एक ऐसे बयान देने ‌से नहीं थक रहे हैं जिनसे उपजे विवाद पश्चिम बंगाल में पार्टी का ध्यान भंग कर सकते हैं।

मुझे अच्छी तरह याद है कि मैंने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने के पार्टी के फैसले की समीक्षा करते हुए विगत दिनों एक लेख भी लिखा था जिसमें उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने के भाजपा के फैसले को सही ठहराया था।

तीरथ सिंह रावत के विवादास्पद बयान अब भाजपा को शायद यह सोचने पर विवश कर रहे होंगे कि समय रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का उसका फैसला तो सही था परन्तु ‌नए मुख्यमंत्री का चयन करने में उससे भूल हो गई।

गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले लड़कियों के फटी जींस पहनने ‌को उनके संस्कारों से जोड़ कर अनावश्यक विवाद को जन्म दिया था।

इस संबंध में उन्होंने अपनी विमान यात्रा के दौरान हुए अनुभव का जिस तरह वर्णन किया था उसने आधी आबादी के एक बड़े वर्ग को आक्रोश से भर दिया।

ये भी पढ़े : तमिलनाडु में इतनी मजबूर क्यों है भाजपा?

ये भी पढ़े :  महाराष्ट्र : तो फिर अनिल देशमुख की बच गई कुर्सी

ये भी पढ़े : लापरवाही का नतीजा कोरोना की दूसरी लहर 

अनेक राजनीतिक दलों के नेताओं और महिला संगठनों की प्रतिनिधियों ने तीरथ सिंह रावत के उक्त बयान को उनकी’ फटी सोच ‘का परिचायक बताया।

तीरथ सिंह रावत ने बाद में अपने बयान की लीपापोती कर माफी भी मांग ली परंतु वे शायद यह भूल गए कि उनका बयान पश्चिम बंगाल में भाजपा को बचाव की मुद्रा अपनाने के लिए विवश कर सकता है।

दस वर्षों से सत्ता की बागडोर थामी महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने उक्त बयान को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई देरी नहीं की।

आश्चर्य की बात यह भी है कि तीरथ सिंह रावत ने लड़कियों के फटी जींस पहनने को तो उनके संस्कारों से जोड दिया परंतु लड़कों के फटी जींस पहनने में उन्हें कोई खोट नजर नहीं आई।

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री ने अपनी अद्भुत ‘वाकपटुता’ का लोहा मनवाने के लिए और भी कई‌ उदाहरण पेश किए हैं जो अजीबोगरीब होने के साथ ही उनके सामान्य ज्ञान के बारे में भी सवाल खड़े करते हैं।

उन्होंने एक मौके पर कहा कि भारत में दो सौ वर्षों तक राज करने वाला विश्व का सबसे संपन्न देश अमेरिका कोरोनावायरस के प्रकोप का सामना करने में ‘बोल गया,डोल गया’ परंतु भारत ने कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में अमेरिका से बाजी मार ली।

मुख्यमंत्री तीरथसिंह रावत को उनके राज्य की किसी माध्यमिक शाला का छात्र भी यह बता देगा कि 9 अगस्त 1942 को गूंजे जिस नारे ने भारत की आज़ादी सुनिश्चित कर दी थी वह नारा था ‘अंग्रजो भारत छोड़ो ‘।

तीरथ सिंह रावत यहीं नहीं रुके। इसके बाद उन्होंने एक और अजीबोगरीब लेकिन हास्यास्पद बात कही। उन्होंने कहा कि लोग शिकायत करते हैं कि कोरोना संकट के दौरान गरीबों को अनाज बांटने में भेदभाव किया गया।

अगर किसी परिवार में बीस सदस्य हैं परंतु तो उसे पांच किलो प्रति सदस्य के हिसाब से एक क्विंटल अनाज मिल गया और जिस परिवार में चार सदस्य हैं उसे पांच किलो प्रति सदस्य के हिसाब से मात्र बीस किलो अनाज दिया गया।

तीरथ सिंह रावत ने अनाज वितरण में भेदभाव की शिकायत करने वालों को जवाब दिया वह न केवल हास्यास्पद है बल्कि अजीबोगरीब भी है।

मुख्यमंत्री कहते हैं कि जो लोग इस आनुपातिक वितरण व्यवस्था सेअसंतुष्ट हैं उन्हें भी ,जब वक्त था, तब बीस बच्चे पैदा कर लेने चाहिए थे। जाहिर सी बात है कि तीरथ सिंह रावत की इन बातों पर केवल हंसा ही जा सकता है।

काश, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के तुरंत बाद वे उन कारणों को दूर करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता महसूस करते जिनकी वजह से मुख्यमंत्री बदलने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को विवश होना पड़ा।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com