जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल अभी नहीं बजा है, लेकिन राजनीतिक हलचल अपने चरम पर है। खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के भीतर तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को लेकर सियासत और तेज होती दिख रही है। पार्टी से निष्कासित किए जा चुके तेज प्रताप यादव ने वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उनका दावा है कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो RJD को इस सीट से हार का सामना करना पड़ेगा।
“मुझे नहीं मिला टिकट तो हार जाएगी पार्टी”
एक इंटरव्यू में तेज प्रताप यादव ने कहा,“अगर मुझे टिकट नहीं मिला तो RJD महुआ से चुनाव हार जाएगी। मैं महुआ से ही चुनाव लड़ूंगा और जनता मुझे पसंद करती है।”
गौरतलब है कि तेज प्रताप ने 2015 में यहीं से अपना पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। अब उन्होंने दोबारा इसी सीट से अपनी राजनीतिक वापसी की रणनीति बनाई है।
निष्कासन के बाद फिर से एक्टिव हुए तेज प्रताप
पार्टी से बाहर किए जाने के बाद तेज प्रताप यादव एक समय राजनीतिक रूप से शांत नजर आ रहे थे, लेकिन अब उन्होंने ‘टीम तेज प्रताप’ नाम से नया सोशल मीडिया पेज बनाकर दोबारा सियासी मैदान में उतरने के संकेत दे दिए हैं। यही नहीं, जब RJD नेता काले कपड़ों में विधानसभा पहुंचे, तेज प्रताप सफेद कपड़ों में वहां मौजूद रहे। ये उनके बदलते रुख का साफ संकेत है।
2020 में क्यों छोड़ी थी महुआ सीट?
2020 में तेज प्रताप ने समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीते भी, लेकिन उस समय उन्होंने महुआ सीट को छोड़ने का फैसला लिया था क्योंकि उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा थी। हालांकि ऐश्वर्या ने चुनाव नहीं लड़ा और महुआ से RJD ने मुकेश रौशन को उतारा, जो जीतकर विधायक बने।
RJD में मच सकती है सियासी हलचल
तेज प्रताप का यह ऐलान पार्टी के अंदर हलचल बढ़ा सकता है।
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महुआ सीट तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर से सटी हुई है।
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लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी तीनों इसी क्षेत्र में मजबूत जनाधार रखते हैं।
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ऐसे में तेज प्रताप की दावेदारी पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है।
महुआ सीट का जातीय समीकरण और रणनीतिक महत्व
महुआ सीट यादव-मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जहां दोनों समुदाय मिलाकर 35% से ज्यादा वोटर हैं। इसके अलावा रविदास और पासवान जाति के वोटर भी प्रभावशाली संख्या में मौजूद हैं।
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यही वजह है कि तेज प्रताप यादव बार-बार इस सीट पर “जनता के जुड़ाव” का हवाला दे रहे हैं।
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वे यह भी कह चुके हैं कि 2015 में मेडिकल कॉलेज का वादा पूरा किया, अब इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने की कोशिश करेंगे।
क्या निर्दलीय लड़ सकते हैं तेज प्रताप?
पार्टी से बाहर होने के बाद तेज प्रताप बार-बार संकेत दे चुके हैं कि वे पार्टी के अंदर “जयचंदों” से परेशान हैं।
ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि यदि RJD से टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे महागठबंधन के वोट बंट सकते हैं।
तेज प्रताप यादव के इस कदम से साफ है कि वे महुआ सीट को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। अगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो ना सिर्फ सीट पर असर पड़ सकता है, बल्कि RJD के आंतरिक समीकरण भी गड़बड़ा सकते हैं।अब देखना यह होगा कि तेजस्वी और लालू यादव इस स्थिति को कैसे संभालते हैं।