Sunday - 7 January 2024 - 6:52 AM

मथुरा में कही हेमा पर भारी न पड़ जाये गन्ने की मिठास

राजेश कुमार 

लखनऊ। मिशन 2019 के लिए प्रथम चरण के मतदान के बाद अब यूपी की 8 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होंगे। आठ में से बसपा 6 सीटों पर चुनावी मैदान में है और सपा-आरएलडी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस दौर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और भाजपा की हेमा मालिनी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। हेमा मालिनी के क्षेत्र मथुरा से ही सूबे के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी आते हैं इसलिए मतदाता पहले चरण के गन्ना बेल्ट में सूबे के गन्ना मंत्री सुरेश राणा की परख के बाद अब दूसरे चरण में श्रीकांत शर्मा के कार्य कलापों को परखेगी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही ताल्लुक रखने वाले सूबे के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के इस चीनी बेल्ट में चीनी की मिठास काफी हद तक कड़वी दिखी तो दूसरे चरण में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की ऊर्जा का भी एहसास मथुरावासी नहीं कर पाये हैं।

दूसरे चरण में नगीना, बुलंदशहर, आगरा और हाथरस सुरक्षित सीट है, इसके अलावा अमरोहा, अलीगढ़, मथुरा और फतेहपुर सीकरी समेत 8 सीटों पर चुनाव होना है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी आठ सीटों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन किसानों की नाराजगी के साथ ही भाजपा को इस बार सपा-बसपा और आरएलडी के महागठबंधन की चुनौती के साथ ही अपने जनप्रतिनिधियों व मंत्रियों की जमीनी हकीकत का सामना करना पड़ रहा है जिसमें पार्टी के कार्यकर्ता अभी तक उपेक्षित ही रहे हैं और उनमें आपसी खींचतान भी खूब देखने को मिली है।

दूसरे चरण की सीटों को दो हिस्से में बांटा जा सकता है। पहला हिस्सा मेरठ के आसपास का है, जहां गन्ना की खेती होती है, तथा गन्ना किसानों का बकाया प्रमुख मुद्दा है जबकि दूसरा हिस्सा आगरा और उसके आसपास का है। आगरा के अलावा फतेहपुर सीकरी, बुलंदशहर, अलीगढ़ और हाथरस की सीटे हैं, जहां आलू किसानों को अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ी। बताते चलें कि मथुरा सीट पर हेमा मालिनी को पिछले लोकसभा चुनाव में 574633 वोट मिले जोकि तीनों पार्टियों के मतों को मिलाने के बाद भी अंतर करीब एक लाख से ज्यादा का रहा था, लेकिन इस बार वह स्थिति नहीं है। पिछली बार जाट वोट एकतरफा हेमा के पक्ष में थे लेकिन इस बार लोकदल प्रत्याशी के मैदान में होने से जाटों का वोट इनके पक्ष में जाता नहीं दिख रहा है।

दूसरे चरण में भाजपा के लिए कृष्ण नगरी मथुरा श्रद्धा के लिहाज से तो ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का गृह क्षेत्र होने के नाते सियासत के नजरिये से भी काफी महत्वपूर्ण है। मथुरा में किसानों के लिए आवारा पशु एक बड़ी समस्या हैं तो स्थानीय नेताओं में आपसी गुटबाजी भीतरघात व अपने चरम पर है। ऊर्जा मंत्री की ऊर्जा की तपिश इस कदर है कि लोग अंदर ही अंदर झुलस रहे हैं और भाई, बंधु ऊर्जावान हो रहे हैं।

ठेका, पट्टा, प्रापर्टी और रिफाईनरी के कामों पर स्थानीय वर्चस्व को लेकर बीजेपी के दो बड़े शर्मा नेताओं के बीच के आपसी द्वंद का खामियाजा हेमामालिनी के चुनाव पर भी देखा और सुना जा रहा है। फिलहाल हेमा की सिनेमाई छवि को सबसे ज्यादा पलीता लगा रही है उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की छवि जोकि मथुरा के लोगों में देखी व सुनी जा रही है।

मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन में गौशाला की बहुतायत होने के कारण गोवंशों की संख्या भी काफी है जो फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके लिए उचित व्यवस्था शासन द्वारा नहीं किये जानो को लेकर फसलों का नुकसान बहुत है जिससे यहां का किसान सरकार से ज्यादा नाराज है। वही श्रीकांत शर्मा के छोटे भाई प्रभाकर का रिफाइनरी एवं अन्य विभागों के ठेकों में काफी हस्तक्षेप है जिसके चलते भी पार्टी के अन्य नेताओं में नाराजगी है। वहीं बसपा के श्याम सुंदर शर्मा जो माट विधानसभा से 9 बार विधायक रह चुके हैं और मथुरा जिले की राजनीति में काफी वर्चस्व रखते हैं।

इसी प्रभाव के चलते अभी तक मथुरा की रिफाइनरी जहां से निकलने वाले तार और डीजल में होने वाले घालमेल में इनके छोटे भाई मुन्ना का लगभग एकाधिकार रहा है फिलहाल वह खुद बीजेपी के नेता हैं। ऐसे में मुन्ना का विरोध एवं इस बिजनेस पर कब्जा जमाने के लिए श्रीकांत शर्मा के भाई लगे हुए हैं। जिसके चलते श्याम सुंदर शर्मा ब्राह्मण मतों को हेमा मालिनी के इतर एकत्रित कर उनको हराने और श्रीकांत शर्मा के कद को कम करने में लगे हैं।

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