Saturday - 12 July 2025 - 8:54 PM

बिहार में अपराध की आंधी! खुद डिप्टी सीएम ने मानी ‘बिहार POLICE’ की विफलता

जुबिली स्पेशल डेस्क

पटना. बिहार में चुनावी मौसम के बीच अपराध की बाढ़ ने कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है। पिछले 7 दिनों में राज्य में 17 हत्याएं दर्ज की गईं  जिनमें पटना के कारोबारी गोपाल खेमका, सीवान में तीन और पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या शामिल है। बढ़ते अपराध को लेकर न केवल विपक्ष, बल्कि सत्ता में शामिल एनडीए के नेता भी खुलकर चिंता जता रहे हैं।

डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का बड़ा बयान

राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने शनिवार को पुलिस प्रशासन पर ही सवाल दाग दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस की ढिलाई और निष्क्रियता के कारण अपराधियों का मनोबल बढ़ा है। बालू, जमीन और शराब माफियाओं के गठजोड़ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये अपराधी पुलिस के कमजोर रवैये का फायदा उठा रहे हैं। “घटनाएं हो जाने के बाद कार्रवाई हो रही है, परंतु माफिया नेटवर्क को पहले क्यों नहीं रोका जा रहा?”

चिराग पासवान ने भी खड़ा किया सवाल

एनडीए के ही सांसद और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने भी एक्स (Twitter) पर लिखा —“बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है?”

मांझी ने RJD पर मढ़ा ठीकरा

वहीं हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी ने अपराध के लिए RJD को दोषी ठहराते हुए गठबंधन धर्म की दुहाई दी। उन्होंने कहा, “गठबंधन में रहकर हमला करना सही नहीं… अब माफियाओं की खातिरदारी नहीं, ठोंका जा रहा है।”

बीजेपी सांसद रूडी ने नीतीश का किया बचाव

भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने नीतीश कुमार की सरकार का बचाव करते हुए कहा कि चिराग पासवान को पुलिस से समन्वय बनाकर चलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में किसी जातीय या सामाजिक आधार पर अपराध नहीं हो रहा।

विपक्ष हमलावर, सीएम नीतीश अब तक चुप

राज्य में बढ़ते अपराध पर अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई सीधा बयान नहीं दिया है। हालांकि अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन हत्याओं की बाढ़ पर चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा,“बिहार में लॉ एंड ऑर्डर नाम की कोई चीज नहीं बची। ये पूरी तरह क्रिमिनल डिसऑर्डर हो चुका है।”

जब सत्ता पक्ष के नेता ही कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने लगें तो स्थिति की गंभीरता को समझा जा सकता है। सवाल यही है — सरकार आपकी, पुलिस आपकी… फिर जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की क्यों?

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