Sunday - 14 January 2024 - 7:17 PM

तो क्या बढ़ने वाली है उद्योग जगत की परेशानी

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। केंद्र सरकार से घर वापसी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों की खुशी का ठिकाना नहीं है, वहीं राज्यों में लॉकडाउन में मिली रियायतों के मद्देनजर खुलने की तैयारी कर रहे उद्योगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।

जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन में काम ठप होने से उद्योग जगत पहले से हलकान है। फैक्टरियां खुलने के बाद मजदूर नहीं मिलने से उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएगी।

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लंबे समय से बिक्री में गिरावट और पूंजी की कमी का सामना कर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए परेशानियां ज्यादा बढ़ सकती हैं। रियल एस्टेट संगठन नारेडको के उपाध्यक्ष प्रवीण जैन के मुताबिक रियल एस्टेट श्रम प्रधान उद्योग है।

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लॉकडाउन के बाद मजदूरों का जितनी तेजी से पलायन हो रहा है, उसमें यह अंदाजा लगाना ही मुश्किल हो रहा है कि आगे कैसे दिन आने वाले हैं?

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डी.के अग्रवाल के मुताबिक एक बार मजदूर गांव चला गया तो उसे वापस लाना मुश्किल होगा। गांव में ही मनरेगा और खेती-किसानी में रोजगार मिलने के कारण मजदूर शायद ही शहर लौटना चाहेगा। अगर वापसी करेगा भी तो वह ज्यादा मजदूरी की मांग करेगा।

उन्होंने चेताया कि काफी दिनों से बंद पड़े उद्योग ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं होंगे, इसलिए मजदूरों का पलायन उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर मजदूरों का पलायन रोकना चाहिए। उद्योग जगत इस दिशा में हर संभव मदद करने को तैयार है।

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को प्रवासी मजदूरों से राज्य छोड़कर नहीं जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ज्यादातर उद्योगों में काम शुरू हो गया है। ऐसे में आपको कोई परेशानी नहीं होगी। इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को प्रवासी मजदूरों से राज्य में टिककर औद्योगिक गतिविधियों को बहाल करने में सहयोग देने का आग्रह किया था।

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MHA ने जारी की नई गाइडलाइन

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों में लोगों की आवाजाही को लेकर खास दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि प्रदेशों में फंसे लोगों के आने- जाने की अनुमति दी गई है। इनमें प्रवासी मजदूर, छात्र, तीर्थयात्री और पर्यटक शामिल हैं। यह अनुमति उन लोगों के लिए नहीं है जो अपने घरों में सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। अपने कार्यस्थल पर आने-जाने की इजाजत इससे अलग है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्यों में बसों में लोगों को ले जाने या ट्रेन के संचालन की जो इजाजत दी गई है, वह भी फंसे लोगों के लिए है। यह अनुमति उन लोगों के लिए है जो लॉकडाउन की अवधि से पहले अपने स्थान से चल चुके थे लेकिन पाबंदी लगते ही वे अपने घर तक नहीं पहुंच पाए।

ऐसे लोग अब राज्यों के दिशा-निर्देश में अपने गंतव्य तक की यात्रा कर चुके हैं। ऐसी कई खबरें आई हैं जिसमें देखा गया कि लोग दूर-दराज के इलाकों में फंसे हैं। वे अपने घरों को नहीं लौट सकते क्योंकि लॉकडाउन की पाबंदियां तो हैं ही, सवारी के माध्यम भी बंद हैं। सरकार ने अब ऐसे लोगों को राहत दी है।

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