जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | दिल्ली की भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए मोबाइल फोन और उससे जुड़े खर्चों को लेकर नई सुविधा योजना लागू की है। इस योजना के तहत मुख्यमंत्री को ₹1.5 लाख तक, मंत्रियों को ₹1.25 लाख तक और अन्य अधिकारियों को भी अलग-अलग सीमा के तहत मोबाइल फोन खरीदने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही हर महीने उनके मोबाइल बिल, इंटरनेट और टैक्स का खर्च भी सरकारी फंड से वहन किया जाएगा।
हर दो साल में मिलेगा नया फोन
सरकार की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि यह मोबाइल प्रतिपूर्ति हर दो साल में एक बार की जाएगी। यदि मोबाइल खराब हो जाए और उसकी मरम्मत की लागत उसकी कीमत के 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो अधिकारी नया फोन ले सकते हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का मोबाइल बिल ₹6,000 से ₹6,500 प्रति माह तक सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
राजनीतिक गलियारों में उठा बवाल
इस फैसले के बाद दिल्ली की राजनीति गर्मा गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस योजना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं ने कहा कि एक ओर जनता को मुफ्त सुविधाएं देने के नाम पर योजनाएं रोकी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर मंत्रियों को महंगे फोन और हर महीने हजारों रुपये के खर्च की छूट दी जा रही है।
AAP प्रवक्ता ने कहा,
“लड़कियों को टैबलेट देने की योजना बंद कर दी गई, लेकिन नेताओं को 1.5 लाख का फोन मिल रहा है। क्या यही है जनता की सेवा?”
BJP का बचाव
बीजेपी ने इस फैसले को तकनीकी जरूरत करार देते हुए कहा है कि वर्तमान समय में मंत्रियों और अधिकारियों का कामकाज डिजिटल माध्यम से होता है और डेटा स्टोरेज, सिक्योरिटी व संचार के लिहाज से बेहतर डिवाइसेज की जरूरत है।
पहले भी मिलती थी यह सुविधा
गौरतलब है कि मोबाइल खर्च की प्रतिपूर्ति की यह व्यवस्था पहले भी लागू थी, लेकिन 2013 के नियमों के तहत सीमित थी। अब इसे अपडेट करते हुए नई दरें तय की गई हैं ताकि मौजूदा तकनीकी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
योजना की प्रमुख बातें:
लाभार्थी | मोबाइल खरीद सीमा | मासिक खर्च |
---|---|---|
मुख्यमंत्री | ₹1.5 लाख | ₹6,500 |
मंत्री | ₹1.25 लाख | ₹6,000 |
मुख्य सचिव | ₹1.25 लाख | ₹6,500 |
अन्य वरिष्ठ अधिकारी | ₹75,000 – ₹1 लाख | ₹4,000 – ₹6,000 |
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अब देखना यह होगा कि विपक्ष के सवालों के बीच सरकार इस योजना को कैसे सार्वजनिक रूप से जस्टिफाई करती है और क्या आने वाले समय में इससे जुड़ी कोई नई शर्तें या संशोधन सामने आते हैं।