जुबिली न्यूज डेस्क
देश में लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) सरकार के साथ नहीं है।
संघ ने अपने सबसे बड़े फैसले लेने वाले निकाय की सालाना बैठक से पहले ही साफ कर दिया है कि लड़कियों के लिए शादी की उम्र पर केंद्र की ओर से प्रस्तावित कानून पर उसका मतभेद है।

आरएसएस का मानना है कि ऐसे मसलों को निर्णय लेने के लिए समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ” फिलहाल शादी लायक उम्र के मसले पर चर्चा चल रही है। इसको लेकर कई मत हैं। आदिवासियों में या ग्रामीण क्षेत्रों में शादियां जल्दी हो जाती हैं। सरकार इसके पीछे तर्क देती है- (यह रोकता है) शिक्षा और (परिणामस्वरूप) जल्दी गर्भावस्था। पर सरकार भी इसे आगे बढ़ाने की जल्दी में नहीं दिख रही है। सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना दखल देना चाहिए। कुछ चीजें समाज पर छोड़ दी जानी चाहिए।”
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सूत्रों की मानें तो सभी की विवाह योग्य आयु को 18 साल से कम करने के लिए सरकार के साथ भी राय साझा की गई थी, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया।
मालूम हो कि दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार एक विधेयक लाई थी, जिसमें महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है।
विपक्ष की आलोचना के बीच इस विधेयक को आगे की चर्चा के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया।
इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस मुद्दे के अलावा हिजाब विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की। बताया कि यह मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था।
सूत्रों के अनुसार, वैवाहिक बलात्कार के मुद्दे पर संघ की भी ऐसी ही राय है और उनका मानना है कि इससे निपटने का फैसला परिवार पर छोड़ देना चाहिए।
आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मुद्दों के साथ बाकी समसामयिक मसलों पर 11 से 13 मार्च को गुजरात के अहमदाबाद शहर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के दौरान चर्चा होने की संभावना है।
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दरअसल, एबीपीएस संगठन और उसके काम का जायजा लेने के लिए हर साल एक मीटिंग करता है। इसके साथ ही आगे के ऐक्शन की रूपरेखा भी तैयार करता है। बैठक में आरएसएस के सभी शीर्ष के नेता, देश भर के क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 30 से अधिक संबद्ध संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
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