Sunday - 7 January 2024 - 5:42 AM

पुनर्निर्माण की योजना में स्वच्छ हवा की रणनीति बनाने की सिफारिश

डॉ. सीमा जावेद

कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में त्राही-त्राही का आलम है. यह बीमारी फिजीकल डिस्टेंसिंग और साफ़-सफाई को बढ़ावा देने से पास आने से रोकी जा सकती है. इसकी कोई वैक्सीन नहीं है और कम्युनिटी स्प्रेड का भी खतरा है. इसी वजह से भारत सरकार ने देश भर में लॉक डाउन किया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके.

ग्लोबल मार्केट रिसर्च फर्म YouGov ने क्लीन एयर फंड (CAF) के साथ मिलकर COVID -19 के समय में वायु प्रदूषण पर एक सार्वजनिक धारणा सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण के नमूने भारत, ब्रिटेन, पोलैंड, बुल्गारिया और नाइजीरिया आदि देशों से एकत्र किये गए हैं. यह नतीजे सीएएफ (CAF) की रिपोर्ट ब्रीदिंग स्पेस के साथ जारी किया जा रहा है, जो सरकारों को COVID -19 से पुनर्निर्माण की योजना में स्वच्छ हवा की रणनीति बनाने की सिफारिश करते हैं.

इस सर्वेक्षण से पता चला कि अधिकांश भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. भारत के निवासियों के लिए संक्रामक रोगों के साथ-साथ वायु प्रदूषण शीर्ष जनस्वास्थ्य की चिंता है. अधिकांश भारतीयों को लगता है कि वायु प्रदूषण के ऐसे स्तरों के बीच रहने से न सिर्फ़ कोविड-19 जैसे वायरस से संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ती है बल्कि उस संक्रमण के गंभीर रूप लेने और फिर उससे न उबर पाने की भी सम्भावना बढ़ जाती है.

इस सर्वेक्षण से यह जानकारी भी निकल कर सामने आयी कि अधिकांश भारतीयों ने लॉकडाउन के बाद वायु की गुणवत्ता में सुधार महसूस किया. अधिकांश भारतीयों को लगता है कि उनके स्थानीय क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए. वायु की स्वच्छता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नीतिगत उपायों के लिए जनता का भारी समर्थन है. लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

सर्वेक्षण के दौरान लोगों से सवाल भी पूछे गए. 94% उत्तरदाताओं का मानना है कि वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. 60% उत्तरदाता सोचते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को गम्भीर रूप से प्रभावित करता है. 30% उत्तरदाता सोचते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को काफ़ी हद तक प्रभावित करता है. अधिकांश भारतीय वायु प्रदूषण को संक्रामक रोगों की तरह ही एक चिंतनीय जनस्वास्थ मुद्दा मानते हैं.

86% उत्तरदाता वायु प्रदूषण को एक जन स्वास्थ्य मुद्दा मान उसके लिए चिंतित हैं. चिंता का यह स्तर न सिर्फ़ संक्रामक बीमारियों के साथ है, जलवायु परिवर्तन (80%), मानसिक स्वास्थ्य (73%), नशीले पदार्थ और शराब (71%), धूम्रपान (68%) और मोटापे (65%) जैसी समस्याओं से आगे है.

अधिकांश भारतीयों को लगता है कि वायु प्रदूषण के ऐसे स्तरों के बीच रहने से न सिर्फ़ कोविड-19 जैसे वायरस से संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ती है, उस संक्रमण के गंभीर के गम्भीर रूप लेने, और फिर उससे न उबर पाने की भी सम्भावना बढ़ जाती है.

उत्तरदाताओं से जब पूछा गया कि क्या ‘उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने से यह संभव है कि कोई व्यक्ति COVID-19 से संक्रमित हो जायेगा?’ तब 63% का जवाब हाँ में था. उत्तरदाताओं से जब पूछा गया कि ‘क्या उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने से यह संभव है कि कोई व्यक्ति COVID-19 से गंभीर रूप से बीमार हो जाए’, तो 67% ने कहा कि यह सच है. जब उनसे पूछा गया कि ‘उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहना किसी व्यक्ति के लिए कोविड-19 से उबरना कठिन कर देता है’ तब 74% ने जवाब हाँ में दिया.

अधिकांश भारतीयों ने, कोविड-19 के फैलने के बाद, व्यक्तिगत रूप से वायु की गुणवत्ता में सुधार देखा है. 87% उत्तरदाताओं का मानना है कि कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद से उन्होंने व्यक्तिगत रूप से वायु की गुणवत्ता में सुधार अनुभव किया है.

अधिकांश भारतीयों ने माना कि उद्योग जगत वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान करता है. जहाँ 69% उत्तरदाताओं ने उद्योग जगत को वायु प्रदूषण में योगदान करते पाया, वहीँ सड़क परिवहन को 64%, निर्माण क्षेत्र को 26%, ऊर्जा उत्पादन को 20%, और जलावन लकड़ी को 18% उत्तरदाताओं ने वायु प्रदूषण के योगदानकर्ता के रूप में माना.

अधिकांश भारतीयों को लगता है कि उनके स्थानीय क्षेत्र की वायु की स्वच्छता और गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए. 94% उत्तरदाताओं का मानना है कि उनके स्थानीय क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए. 52% का कहना है कि इसमें ‘बहुत’ सुधार होना चाहिए.

कोविड-19 महामारी के समाप्त होने के बाद वायु प्रदूषण के स्तरों को नियंत्रित और सीमित करने के उपायों के लिए भारत की जनसंख्या में समर्थन के उच्च स्तर हैं. सख्त कानून और / या वायु गुणवत्ता के नियमों का प्रवर्तन (85% समर्थन)

लोगों और व्यवसायों को परिवहन के पर्यावरण-अनुकूल स्वरूपों (जैसे कम प्रदूषण करने वाले वाहन, सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलना और साइकिल चलाना) (84% समर्थन) के उपयोग में सहायता और प्रोत्साहन. शहरों में स्वच्छ वायु क्षेत्रों को बढ़ावा देना (जैसे सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर अधिक शमन शुल्क लिया जाना) (84% समर्थन)

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संक्रमण नियंत्रण उपायों को ध्यान में रखते हुए बेहतर सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को सुनिश्चित करना (अधिक सेवा आवृत्ति) (83% समर्थन) सड़कों पर चलने और/या साइकिल चलाने के लिए उनके मौजूदा उपयोग का पुनरावलोकन (82% समर्थन), इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अधिक निवेश (82% समर्थन). खाना पकाने और हीटिंग के लिए लोगों को अपने घर में पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उपयोग करने में मदद और प्रोत्साहन (80% समर्थन)

गैस बॉयलरों की जगह विद्युत बॉयलरों के प्रयोग के लिए एक सरकारी योजना (78% समर्थन)

खाना पकाने और हीटिंग के लिए घरों में प्रदूषणकारी ईंधन के उपयोग पर प्रतिबंध (76% समर्थन)

नई सड़कों पर खर्च करने की जगह सार्वजनिक परिवहन पर खर्च करना (73% समर्थन)

निजी / व्यक्तिगत वाहनों से प्रति मील आवागमन के आधार से शुल्क वसूलना (59% समर्थन)

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