जुबिली न्यूज डेस्क
मंडी से भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गई हैं। हिमाचल में ड्रग्स की समस्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने पंजाब को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। उनके इस बयान पर जहां विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं बीजेपी के भीतर से भी विरोध के सुर उठने लगे हैं।

क्या कहा था कंगना ने?
कंगना रनौत ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि “पंजाब के रास्ते हिमाचल प्रदेश में नशा पहुंच रहा है। इसकी वजह से हिमाचल के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। अगर यही स्थिति बनी रही, तो हिमाचल भी पंजाब जैसा बन जाएगा, जहां ड्रग्स ने समाज को खोखला कर दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “ड्रग्स की वजह से महिलाएं विधवा हो रही हैं, घर उजड़ रहे हैं। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया, तो हिमाचल में भी हालात बेकाबू हो जाएंगे।”
बीजेपी नेताओं ने भी जताई नाराजगी
कंगना के बयान को लेकर खुद उनकी पार्टी बीजेपी के नेता भी असहमति जता रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया ने कहा—“कंगना रनौत को पार्टी लाइन के अंदर रहते हुए बयान देना चाहिए। उनका बयान अनुचित है। उन्हें इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर संयम बरतना चाहिए।”यह बयान यह साफ करता है कि बीजेपी के भीतर भी कंगना के तीखे तेवर और बेबाक अंदाज से सभी सहज नहीं हैं।
AAP ने किया हमला – पहले गुजरात की स्थिति देखें
आप नेता हरपाल चीमा ने भी कंगना पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा—“कंगना को किसी भी राज्य पर टिप्पणी करने से पहले जमीनी हकीकत की जानकारी लेनी चाहिए। वे सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के बयान देती हैं।”
उन्होंने आगे जोड़ा—“अगर नशे की समस्या की बात करनी है तो पहले गुजरात की स्थिति देखें, जहां हालात पंजाब से भी ज्यादा खराब हैं। लेकिन कंगना उस पर कुछ नहीं कहतीं क्योंकि वह बीजेपी शासित राज्य है।”
सियासी हलचल के पीछे की वजह
कंगना रनौत ने जिस अंदाज में पंजाब को नशे की जड़ बताया, उससे न सिर्फ राजनीतिक दलों को ठेस पहुंची बल्कि सामाजिक रूप से भी इसे एक पूरे राज्य की छवि खराब करने की कोशिश माना जा रहा है।
वहीं हिमाचल में युवाओं में नशे की बढ़ती लत वाकई एक चिंता का विषय है, लेकिन उसका राजनीतिकरण कितना उचित है – यही सवाल अब उठने लगा है।
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कंगना रनौत का यह बयान अब तूल पकड़ चुका है। उनके शब्दों ने हिमाचल में ड्रग्स की समस्या को लेकर गंभीर चर्चा तो छेड़ दी है, लेकिन इसके लिए पंजाब को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराना उनके लिए सियासी मुसीबत बनता दिख रहा है।
अब देखना यह है कि क्या पार्टी नेतृत्व कंगना के बयानों को नियंत्रित करता है या उन्हें खुली छूट बनी रहेगी। वहीं, विपक्षी दल इस मुद्दे को आने वाले समय में और धार दे सकते हैं।
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