जुबिली न्यूज डेस्क
यह खबर उन माता-पिता के लिए है जिनका बच्चा अटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीडि़त है। एडीएचडी से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए अमेरिका में एक नई दवा की अनुमति मिल गई है।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी से बच्चों में ध्यान की कमी, हाइपरऐक्टिविटी और इम्पल्सिटिविटि जैसी परेशानियां हो जाती हैं।
छह से 17 साल के बच्चों में एडीएचडी के इलाज के लिए अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने केल्ब्री नाम की इस दवा को हरी झंडी दिखा दी है।

केल्ब्री एक कैप्सूल के रूप में आती है। इसे रोज खाना पड़ता है। केल्ब्री की सबसे खास बात यह है कि यह दूसरी एडीएचडी दवाओं की तरह एक स्टीमुलेंट या एक नियंत्रित पदार्थ नहीं है। फिलहाल इसकी वजह से आसानी से इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।
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अभी तक एडीएचडी की जो दवाएं उपलब्ध थीं, जैसे रिटालिन, लगभग उन सभी में एम्फीटामाईन या मिथाइलफेनिडेट जैसे स्टीमुलेंट हैं।्र
नई दवा केल्ब्री को सुपरनस नाम की कंपनी ने बनाया है। इसके साथ आत्महत्या के बारे में विचार आने की संभावना की चेतावनी दी जाती है।
केल्ब्री को लेकर हुए अध्ययन में एक प्रतिशत से कम वालंटियरों में इस तरह के असर देखने को मिले। सुपरनस ने दवा का दाम नहीं बताया है, लेकिन संभव है कि यह कई दूसरी एडीएचडी दवाओं से ज्यादा ही होगा।
अमेरिका में करीब 60 लाख बच्चे और किशोर एडीएचडी से प्रभावित हैं। इनमें से कई लोगों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें ध्यान देने में परेशानी, काम पूरे करने में परेशानी, बेचैनी और आवेग शामिल हैं।
जानकारों का कहना है कि संभव है कि यह दवा उन लोगों को पसंद आएगी जो अपने बच्चों को स्टीमुलेंट नहीं देना चाहते हों।
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जॉन्स ऑपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोविज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड गुडमैन, केल्ब्री के बारे में कहते हैं कि यह दवा उन बच्चों के लिए भी एक विकल्प हो सकती है जो पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या से जूझ रहे हों, जो स्टीमुलेंटों के दुष्प्रभावों से दूर रहना चाह रहे हों या जिन्हें अतिरिक्त रूप से थेरेपी की आवश्यकता हो।
गुडमैन ने कहा कि दवाएं लेने वाले एडीएचडी के अधिकांश रोगियों को लम्बा असर करने वाले स्टीमुलेंट दिए जाते हैं जिनका दुरुपयोग करके उनसे नशा करना आसान नहीं होता।
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वहीं सुपरनस ने एक अध्ययन कराया जिसमें छह से 11 उम्र तक के 477 बच्चों ने यह नई दवा छह हफ्तों तक ली। इन बच्चों में उस समूह के मुकाबले ध्यान कम देने और हाइपरएक्टिविटी के लक्षणों में 50 प्रतिशत तक की कमी देखी गई जिसमें दूसरे बच्चों को सिर्फ प्लेसिबो दिया गया था।
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