जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली/यरुशलम. पश्चिम एशिया एक बार फिर से अशांत हो उठा है। पहले 12 दिन तक चला इजराइल-ईरान युद्ध और अब इजराइल की कथित ‘डेविड कॉरिडोर’ योजना ने नए भू-राजनीतिक संकट को जन्म दे दिया है। तुर्की, ईरान और रूस जैसे देश इस योजना को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं, क्योंकि यह सीधे-सीधे सीरिया की अखंडता को चुनौती देने वाला माना जा रहा है।
क्या है ‘डेविड कॉरिडोर’?
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘डेविड कॉरिडोर’ इजराइल की एक रणनीतिक योजना है, जो उसे सीरिया के दक्षिणी ड्रूज़ बहुल इलाकों से जोड़कर सीधे उत्तर में कुर्दिश क्षेत्रों तक पहुंचने का रास्ता देती है।
जानकारों का मानना है कि इस बेल्ट के ज़रिए इजराइल सीरिया के अंदर स्थायी प्रभाव कायम करना चाहता है। कई विश्लेषक इसे इजराइल के उस विवादास्पद ‘ग्रेटर इजराइल’ दृष्टिकोण से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें इजराइल की सीमाएं नील नदी से लेकर यूफ्रेट्स तक विस्तृत मानी जाती हैं।
क्या सीरिया चार टुकड़ों में बंट जाएगा?
तुर्की के प्रतिष्ठित अख़बार हुर्रियत के स्तंभकार अब्दुलकादिर सेलवी के अनुसार, इजराइल की इस योजना का अंतिम लक्ष्य सीरिया को चार हिस्सों में बांटना हो सकता है:
-
दक्षिण में ड्रूज़ बहुल राज्य
-
पश्चिम में अलावी नियंत्रित इलाका
-
केंद्र में सुन्नी अरब राज्य
-
उत्तर में कुर्द स्वायत्त क्षेत्र, जिसे SDF (सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज) संचालित करेगी।
इजराइल का उद्देश्य क्या है?
इजराइल का तर्क है कि उसकी प्राथमिकता अपनी सुरक्षा है — खासकर सीरिया में सक्रिय ईरान समर्थित गुटों से। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वे उत्तरी सीमा पर किसी भी ‘दुश्मन गतिविधि’ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। ड्रूज़ समुदाय को समर्थन देने की बात भी सार्वजनिक रूप से कही गई है।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ एक बहाना है, असली मकसद सीरिया को कमजोर करना और उसे छोटे-छोटे ‘गुटीय क्षेत्रों’ में बांटना है, जिनमें से कुछ इजराइल-समर्थक भी हो सकते हैं।
तुर्की क्यों है सबसे ज्यादा चिंतित?
तुर्की, जो लंबे समय से सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता का पक्षधर रहा है, को सबसे बड़ा खतरा कुर्द स्वायत्तता से महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने 17 जुलाई को स्पष्ट रूप से कहा कि वे सीरिया को बंटने नहीं देंगे।
अंकारा को डर है कि अगर कुर्दों को सीरिया में अधिकार मिला, तो तुर्की के अंदर चल रहे कुर्द आंदोलन को भी बल मिल सकता है। तुर्की की सरकारी मीडिया ने भी इजराइल के बढ़ते सैन्य प्रभाव पर सख्त रुख अपनाया है।
ईरान, रूस और अमेरिका की स्थिति
ईरान और रूस पहले ही इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों को सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन बता चुके हैं। वहीं अमेरिका, जो इजराइल का प्रमुख सहयोगी है, इस पूरे घटनाक्रम पर संयम बरतने की सलाह दे रहा है, लेकिन उसने कोई ठोस रुख सार्वजनिक रूप से नहीं अपनाया है।