Sunday - 14 January 2024 - 10:07 PM

‘निर्दोष लोगों को रिहा कर माफी मांगे योगी सरकार’

न्‍यूज डेस्‍क

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में पिछले दिनों हिंसा देखने को मिली थी। इस हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई तो कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ में हुए हिंसक आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जफर और पूर्व IPS एसआर दारापुरी समेत कुल 12 लोगों को जमानत मिल गई है। जिसको लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने यूपी की योगी सरकार पर निशाना साधा है।

मायावती ने रविवार को ट्वीट कर कहा यूपी में CAA और NRC के विरोध में किए गए प्रदर्शनों में बिना जांच-पड़ताल के ही लोगों को जेल भेज दिया गया। मायावती ने कहा, विशेषकर बिजनौर, संभल, मुजफ्फरनगर, मेरठ, फिरोज़ाबाद और अन्य ज़िलों में जिन निर्दोषों को जेल भेजना शर्मनाक और निन्दनीय है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि यूपी सरकार निर्दोष गिरफ्तार लोगों को तुरंत छोड़ना चाहिए और अपनी गलती के लिए माफी भी मांगनी चाहिए। साथ ही, जिन निर्दोषों की मृत्यु हो गई है, राज्य सरकार को उन परिवारों की आर्थिक मदद भी जरूर करनी चाहिए। मायावती ने कहा, इस पूरे मामले की जांच होना बहुत जरूरी है। हिंसा मामले की जांच की मांग के लिए बसपा की ओर से 6 जनवरी को गर्वनर को एक लिखित ज्ञापन दिया जाएगा।

दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन देखे गए थे। इस दौरान लखनऊ में भी हिंसा हुई थी। कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जफर सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। जफर को 19 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ भड़की हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।

राजधानी की एक जिला अदालत ने शुक्रवार को कांग्रेस कार्यकर्ता सदाफ जफर, पूर्व आईपीएस अधिकारी एस.आर.दारापुरी, पवन राव अंबेडकर व कई अन्य को जमानत दे दी। इन्हें 19 दिसंबर को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। सत्र न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद वे जिला अदालत में सुनवाई के लिए पहुंचे थे।

हजरतगंज पुलिस ने जफर व अन्य पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रापर्टी एक्ट 1984 व क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट, 1932 भी शामिल है।

जफर के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें उसकी गिरफ्तारी को अवैध बताया गया। हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से इस याचिका पर दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जफर व सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी दारापुरी की गिरफ्तारी को लेकर यूपी सरकार की निंदा की और कहा कि उप्र सरकार ने ‘अमानवता की सभी हदें पार’ कर दीं। जफर के दो नाबालिग बच्चे हैं।

प्रियंका गांधी बीते सप्ताह लखनऊ में जफर व दारापुरी के घर गई थीं। 19 दिसंबर के प्रदर्शन के बाद से 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जाने-माने मानव अधिकार के वकील मोहम्मद शोएब व दारापुरी को भी सीएए के विरोध करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।

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