Sunday - 7 January 2024 - 6:55 AM

चंद्रशेखर को रोकने के लिए मायावती ने बनाया प्‍लान

न्‍यूज डेस्‍क

यूपी में बदलते सियासी माहौल में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती सूबे में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। कभी सत्‍ता के शिकर बैठने वाली मायावती इन दिनों प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर चली गईं हैं। उनके कई करीबी नेता पार्टी छोड कर दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं। हालांकि इसके बावजूद राजनीति की माहिर खिलाड़ी मायावती को कम करके नहीं आंका जा सकता।

मिशन 2022 लगी बसपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बताया जा रहा है कि मायावती ने युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए अपने भतीजे आकाश को कमान सौंपी है। वहीं, बसपा के लिए बड़ा खतरा बन रहे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को रोकने के लिए भी खास प्‍लान तैयार की है।

बताया जा रहा है कि मायावती चंद्रशेखर आजाद के हर कदम पर पैनी नजर रख रहे हैं। सूत्रों की माने तो मायावती की रणनीति है कि चंद्रशेखर की बिछाई सियासी फिल्डिंग को देखकर वह बैटिंग करेंगी। बताया जा रहा है कि बसपा ने पांच अप्रैल को बैठक बुलाई है और चंद्रशेखर के बढ़ते कद को रोकने के लिए प्‍लान बनाया है।

सूत्रों के मुताबिक, बसपा की एक टीम देख रही है कि चंद्रशेखर अपनी पार्टी में बहुजन की नुमाइंदगी के नाम पर दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों को कितना प्रतिनिधित्व देते हैं और किन चेहरों पर फिलहाल भरोसा करते हैं। जिन लोगों को साथ जोड़ा जाएगा, वे कितना असरदार और जनाधार वाले हैं। उनका सियासी चेहरा कितना बड़ा है। उनसे बसपा को कोई संभावित नुकसान है या नहीं।

चंद्रशेखर से जुड़ने वालों का सियासत में पहले कितना दखल रहा है। अब तक किन पार्टियों में रहे हैं। बसप में थे तो कब तक रहे और अलग क्यों हए। उनको निकाला गया या पार्टी छोड़ी?

बसपा के एक प्रांतीय पदाधिकारी के मुताबिक मायावती ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के ऐलान के बाद के असर की काट के लिए पांच अप्रैल को प्रांतीय स्तर की बैठक लखनऊ में बुलाई है। इस बैठक में खुद बसपा प्रमुख शामिल होंगी। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में चंद्रशेखर की पार्टी के असर को कम करने के लिए अपने धुरंधर सियासी बैट्समैन और बॉलर को उतारा जाएगा।

पुराने दिग्गजों को फिर से यूपी में लगाने पर विचार किया जाएगा। खासकर वेस्ट यूपी पर फोकस रहेगा। वैसे भी बसपा का गढ़ वेस्ट यूपी माना जाता है। चंद्रशेखर आजाद की जन्म और कर्मभूमि भी वेस्ट यूपी है। इसलिए वेस्ट यूपी में बसपा के पुराने धुरंधरों को उतारा जा सकता है। फिलहाल कई धुरंधर दूसरे प्रदेशों में संगठन का काम देख रहे हैं।

इस बीच चर्चा है कि चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। बहुजन आजाद पार्टी और आजाद बहुजन पार्टी में से किसी एक का ऐलान 15 मार्च को करेंगे। हालांकि आजाद बहुजन पार्टी के नाम पर एकराय बनने की बात सामने आ रही है। 11 मार्च को नाम पर अंतिम फैसला होगा।

पार्टी के एलान से पहले चंद्रशेखर लगातार मायावती पर हमलावर हैं। चंद्रशेखर ने मायावती पर इशारे-इशारे में तंज कसा और कहा कि जो गलतियां हुईं, उन्हें दोहराया नहीं जाएगा। बहुजन समाज के लिए काम करना पड़ेगा। केवल भाषणबाजी से दलितों का भविष्य नहीं सुधर सकता है। उन्हें बराबरी का अधिकार और हिस्सेदारी देनी पड़ेगी। जब हिस्सेदारी मिलेगी तो परिवार बढ़ेगा। सत्ता में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। तब बहुजन समाज का निर्माण होगा।

चंद्रशेखर ने कहा, “देश और प्रदेश के करोड़ों अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों को सताया जा रहा है। उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता चाहते हैं कि उन्हें भी राजनीतिक हिस्सेदारी मिले। इसको ध्यान में रखते हुए हम 15 मार्च को नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं। उनके (दलितों) मुद्दों पर खड़ा होना पड़ेगा। सिर्फ कोरे भाषणों से बहुजन समाज नहीं बनेगा उनके हितों के लिए आवाज उठानी पड़ेगी। उन्हें सत्ता में भागीदारी देनी पड़ेगी।”

बसपा एक मजबूत पार्टी है, उसका जनाधार भी खूब है, इसकी काट कैसे ढूंढेंगे, इसके जवाब में चंद्रशेखर ने कहा, “हम कोई काट नहीं ढूंढ रहे हैं। इस देश के करोड़ों मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों को देख रहे हैं। उनके हितों की हमें रक्षा करनी है। प्रदेश में हमारा बड़ा संगठन है। हमने पिछले दिनों भारत बंद भी किया था, जो सफल रहा।”

 

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